बस्तर

बस्तर की जनजातीय संस्कृति का संरक्षण-संवर्धन एक बड़ी जिम्मेदारी
21-May-2023 3:05 PM
बस्तर की जनजातीय संस्कृति का संरक्षण-संवर्धन एक बड़ी जिम्मेदारी

कलेक्टर ने समाज प्रमुखों और सदस्यों से की चर्चा

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
जगदलपुर, 21 मई।
कलेक्टर विजय दयाराम के.ने कहा कि बस्तर की जनजातीय संस्कृति अत्यंत समृद्ध है, क्षेत्र की जनजातीय संस्कृति और परंपराओं का संरक्षण-संवर्धन निश्चित तौर पर एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी है, जिसे पूरा करने के लिए समाज के सदस्यों का सहयोग, शक्ति और आशीर्वाद की आवश्यकता है।

श्री विजय ने शनिवार को आसना स्थित बादल अकादमी में जनजातीय संस्कृति के संरक्षण के साथ ही बादल अकादमी में संचालित गतिविधियों के विस्तार पर विभिन्न जनजातीय समुदायों के समाज प्रमुखों और उनके सदस्यों के साथ चर्चा की। चर्चा से पूर्व कलेक्टर के आगमन पर बस्तरिया परंपरा अनुसार उनका स्वागत किया गया। उन्होंने समाज के सदस्यों से संवाद हेतु निरंतर जुड़े रहने की बात कही। 

जनजातीय समुदाय के सदस्यों के साथ भूमि पर बैठकर चर्चा करते हुए कलेक्टर ने कहा कि यहां के पुरखों ने बड़े परिश्रम के साथ अपनी संस्कृति और परंपराओं के बचाते हुए हमें विरासत के तौर पर सौंपा है। भविष्य को देखते हुए इन पंरपराओं और संस्कृति को हमें आने वाली पीढ़ी को भी सौंपना है, जिसकी जिम्मेदारी निश्चित तौर पर समाज के वरिष्ठ सदस्यों के ऊपर है।

उन्होंने कहा कि इन संस्कृतियों और परंपराओं को विलुप्त होने से बचाने के लिए इसके संरक्षण संवर्धन के लिए प्रशासनिक सहयोग हेतु बादल अकादमी की स्थापना की गई है। यहां परंपरा और संस्कृति के संरक्षण की जो बुनियाद रखी गई है, उसमें भव्य भवन के निर्माण में वह अपना योगदान देंगे।

उन्होंने कहा कि यह संस्थान यहां की जनजातीय समुदाय का है तथा यहां की गतिविधयों उन्हीं के सहयोग से आगे बढ़ाई जाएंगी। उन्होंने बादल संस्थान द्वारा संचालित गतिविधियों में किसी भी प्रकार की शिथिलता नहीं लाने और कार्यों को तेजी से आगे बढ़ाने की बात कही। उन्होंने विभिन्न जनजातीय समुदाय की परंपराएं, संस्कार, रीति-नीति के अभिलेखीकरण का कार्य 15 जून तक पूर्ण करने को कहा, ताकि उनका शीघ्र प्रकाशन किया जा सके। 

इस अवसर पर संस्कृति और परंपराओं के संरक्षण में युवाओं की भूमिका को भी महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि समाज के सर्वांगीण विकास के लिए कला का भी महत्वपूर्ण योगदान है, क्योंकि कला और संस्कृति के बिना समाज का निर्माण ही संभव नहीं है। 

कलेक्टर ने चखा मंडिया पेज और आमट का स्वाद
इस अवसर पर कलेक्टर ने समाज के सदस्यों के साथ बैठकर भोजन भी किया। बस्तर की परंपरा अनुसार सरगी पत्तों से बने दोने और पत्तल में उन्हें दाल-भात और विभिन्न साग-भाजी के मिश्रण से तैयार मिक्स आमट के साथ ही कोलियारी भाजी, मंडिया पेज और आम की चटनी परोसी गयी। कलेक्टर ने बस्तरिया तरीकों से बहुत ही कम तेल के उपयोग से तैयार व्यंजनों को बहुत ही स्वादिष्ट बताते हुए उन्होंने समाज के सदस्यों के प्रति आभार व्यक्त किया।

 

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news