धमतरी

गौठानों में नियमित रूप से हो रही गोबर खरीदी
25-May-2023 3:40 PM
गौठानों में नियमित रूप से हो रही गोबर खरीदी

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
धमतरी, 25 मई।
जिला धमतरी अंतर्गत कुल 377 ग्राम पंचायतों में 367 गौठान स्वीकृत हैं। जिनमें से 355 ग्रामीण क्षेत्रों एवं 08 शहरी क्षेत्रों में स्वीकृत हैं। जिसमें सभी गौठानों में राज्य शासन की महत्वाकांक्षी गोधन न्याय योजना के तहत नियमित रूप से गोबर खरीदी की जा रही है। अब तक 13 हजार 403 गोबर विक्रेताओं से कुल पांच लाख 58 हजार 105 क्विंटल गोबर का क्रय गौठानों में किया गया है। खरीदे गये गोबर से अब तक कुल एक लाख 28 हजार 172 क्विंटल जैविक खाद का उत्पादन किया जा चुका है तथा कुल एक लाख 20 हजार 880 क्विंटल खाद का विक्रय किया जा चुका है। खाद विक्रय से अब तक स्वसहायता समूहों को कुल तीन करोड़ छ: लाख 95 हजार 235 रूपए से अधिक की लाभांश राशि का भुगतान भी किया गया है। इसी प्रकार वर्तमान स्थिति में जिले के कुल 237 गौठान स्वावलंबी हो चुके हैं।

विगत दिनों विभिन्न जनप्रतिनिधियों द्वारा धमतरी जिले के विभिन्न विकासखण्ड के 25 गौठान का भ्रमण किया गया एवं आपत्तियां जताते हुए भ्रामक तथ्य प्रस्तुत किये गये है, जिसमें बताया गया है कि अछोटा ग्राम पंचायत में खाद उठाव हो रहा है कि नहीं, समूह को खाद विक्रय का लाभांश मिल रहा है कि नहीं पूछा गया। इस पर मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत ने बताया कि अछोटा स्थित गौठान में 860 क्विंटल खाद का उत्पादन किया गया है, जिसमें से 687 क्विंटल खाद का उठाव एवं विक्रय हो गया है। शेष खाद के उठाव की प्रक्रिया की जा रही है। साथ ही स्व सहायता समूह को विक्रय अनुसार शत्-प्रतिशत लाभांश प्राप्त हो रहा है। गौठान में सोलर पम्प के माध्यम से पानी की व्यवस्था की जा रही है। 

इसी प्रकार गातापार ग्राम पंचायत में 15 वें वित्त की राशि से गौठान में क्या खर्च किए, गोबर खरीदी नियमिति हो रहा है कि नहीं, गौठान समिति की राशि की व्यय की जानकारी, डेयरी शेड में पशु अनुदान में मिला है कि नहीं पूछा गया। इस पर बताया गया कि गातापार को। गौठान में 15 वें वित्त की राशि से बोर, सोलर पैनल, पोल फेसिंग कार्य किया गया। साथ ही गोबर खरीदी नियमित रूप से होने, गौठान समिति को 3 लाख 30 हजार रूपये प्राप्त हुआ है, जिसमें समिति द्वारा 2 लाख 20 हजार रूपये व्यय किया गया एवं 1 लाख 10 हजार रूपये शेष है। पशुपालन विभाग द्वारा 4 गाय अनुदान में स्व सहायता समूह की महिलाओं को प्रदान किया गया है।

ग्राम पंचायत जोरातराई के गौठान में कितना राशि स्वीकृत एवं व्यय होना पूछे जाने पर बताया गया कि गौठान में मनरेगा मद से 7 लाख 19 हजार रूपये एवं अन्य मद से 6 लाख 22 हजार रूपये स्वीकृत है। मनरेगा मद में 6 लाख 76 हजार और अन्य मद में 6 लाख 10 हजार रूपये व्यय किया गया है। वहीं ग्राम पंचायत पचपेड़ी में गौठान कौन से मद से बना और समूह से पूछा गया गोबर कौन खरीदकर देता है। इस पर बताया गया कि गौठान में मनरेगा से 11 लाख 82 हजार एवं अन्य मद में 10 लाख 54 हजार रूपये हैं। गौठान समिति के माध्यम से गोबर खरीदी किया जाता है। 

मगरलोड विकासखंड के ग्राम पंचायत अरौद में गेट गायब, पानी, चारा कुछ नहीं है, के बारे में बताया गया कि वर्ष 2018-19 में स्वीकृत गौठान में गेट का प्रावधान नहीं किया गया है। ग्राम पंचायत द्वारा स्वयं के व्यय से गेट का निर्माण किया गया था। पानी की व्यवस्था 14 वें वित से कराया गया तथा सोलर पम्प स्थापित किया गया है। खरीफ फसल के बाद पैरा की व्यवस्था की गई थी, जिसे पशुओं को खिला दिया गया है। रबी फसल की कटाई के बाद पुन: पैरा की व्यवस्था की गई। इसी प्रकार मोतिमपुर में अतिक्रमण की शिकायत पर बताया गया कि 15 वें वित से फेंसिंग कार्य कराया जा रहा है। परस_ी में गौठान आय-व्यय की जानकारी ली गई। इस पर पंचायत सचिव द्वारा कुल स्वीकृत राशि 5 लाख 5 हजार रूपये तथा 14 वें वित्त से 99 हजार रूपये की जानकारी दी गई।

गौठानों में जैविक खाद निर्माण हेतु कृषि विभाग नोडल विभाग है। कृषि विभाग द्वारा स्वसहायता समूहों को प्रशिक्षण प्रदाय किया गया है एवं आवश्यकतानुरूप समय-समय पर मार्गदर्शन भी प्रदाय किया जाता है। 

खाद की गुणवत्ता नियंत्रण हेतु सैंपल भी समय-समय पर प्रयोगशाला में प्रेषित किया जाता है। जिले के गौठानों में बिजली एवं पानी की उपलब्धता हेतु विद्युत विभाग, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग एवं समस्त जनपद पंचायतों को निर्देशित किया गया है। इसके अनुरूप संबंधित विभागों द्वारा इस हेतु समुचित प्रयास करते हुए कार्य कराये जा रहे हैं। गौठानों में मवेशियों के सूखा चारा की उपलब्धता हेतु किसानों को प्रेरित कर जिला अंतर्गत कुल 69 हजार 455 क्विंटल पैरादान कराया गया है। साथ ही पैरा के संरक्षण हेतु बेलर मशीन से बंडल तथा पशु विभाग के द्वारा पैरा उपचार भी कराया गया है। गौठानों में समूहों के द्वारा बाड़ी, मत्स्यपालन, मशरूम उत्पादन, मुर्गीपालन, बकरीपालन एवं अन्य आयमूलक आजीविका गतिविधि विभागीय सहयोग से संचालित की जा रही है। जिससे उनकी आय में भी वृद्धि हुई है।

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