रायगढ़

गर्भवती तड़पती रही, सोनोग्राफी के लिए बाहर भेजा
25-May-2023 4:58 PM
गर्भवती तड़पती रही, सोनोग्राफी के लिए बाहर भेजा

 नवजात की मौत, अस्पताल पर लापरवाही का आरोप 

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायगढ़, 25 मई।
शहर के सरकारी अस्पतालों में इलाज की व्यवस्था का बुरा हाल है। मेडिकल कॉलेज और एमसीएच हॉस्पिटल के लापरवाही की भेंट एक मां चढ़ी है। जिससे उसके पेट में ही नवजात ने दम तोड़ दिया है। ऐसे में परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन पर समय पर इलाज नहीं कराने का आरोप लगाया है। उनकी मानें तो प्रसव पीड़ा से तड़प रही महिला को यहां से वहां भेजने के चक्कर में ही आने से पहले नए मेहमान की सांसे थम गई है।

दरअसल पीडि़ता प्रमिला यादव कमला नगर सारंगढ़ की रहने वाली है। महिला के परिजनों ने बताया कि रविवार की रात उसे प्रसव पीड़ा होने पर उसके परिजन उसे आनन-फानन में सारंगढ़ से रात तीन बजे मेडिकल कॉलेज अस्पताल लेकर पहुंचे। जहां पीडि़ता को भर्ती करने के बजाय उसे एमसीएच भेज दिया गया। ऐसे में रात में ही परिजन उसे जैसे-तैसे एमसीएच लेकर गए। जहां उन्हें कहा गया कि मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल से पर्ची कटा कर लाओ फिर भर्ती करेंगे। फिर पीडि़ता का पति अकेले मेडिकल कॉलेज पर्ची कटाने आया तो उससे कहा गया कि महिला को यहां ले आओ भर्ती कर लेंगे।

इसके बाद फिर से पीडि़त महिला को मेडिकल कॉलेज लाया गया और भर्ती किया गया। रात से शाम तक महिला पीड़ा से तड़पती रही, लेकिन मेडिकल कॉलेज अस्पताल में उसका सोनोग्राफी तक नहीं कराया गया। परिजनों ने बताया कि सोमवार की शाम 4 बजे महिला को बाहर से सोनोग्राफी करा कर लाने कहा गया और किसी प्राइवेट लैब का पता दिया गया। इसके बाद पीडि़त परिजन ऑटो में महिला को शहर लेकर आए और सोनोग्राफी करा कर रात में फिर हॉस्पिटल पहुंचे। परिजन के बताए अनुसार यहां डॉक्टरों ने रिपोर्ट देख कर कहा कि नवजात की मौत हो गई है जिससे परिजनों के पैरों तले जमीन खिसक गई। परिजनों ने आरोप लगाया है कि दोनों हॉस्पिटल प्रबंधन की लापरवाही के कारण बच्चे की मौत हुई है। हालांकि इस संबंध में मेडिकल कॉलेज के अधिकारी खुद को अंजान बता रहे हैं।

आखिर सोनोग्राफी के लिए क्यों भेज रहे बाहर
मेडिकल कॉलेज अस्पताल के अधिकारियों का कहना है कि उनके हॉस्पिटल में सोनाग्राफी हो रही है तो फिर इस पीडि़ता का सोनोग्राफी क्यों नहीं किया गया। वहीं उसे सोनोग्राफी के लिए केजीएच भेजने के बजाय किसी प्राइवेट लैब में आखिर क्यों भेजा गया। सोनोग्राफी कराने के लिए ही महिला के परिजन करीब 7 सौ से 8 सौ रुपये आने जाने के लिए ऑटो भाड़ा खर्च कर शहर आए और जेब ढीली कर सोनोग्राफी कराई। इससे उन्हें आर्थिक नुकसान तो हुआ ही और नवजात भी नहीं बच सका।

वहीं मनोज कुमार मिंज, एमएस, मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल का इस संबंध में कहना है कि सारंगढ़ से आई महिला के बच्चे की लापरवाही की वजह से मौत हुई है। इसकी मुझे जानकारी नहीं है। ऐसा तो नहीं होना चाहिए, अगर हुआ है तो मामले की जांच कराता हूं।
 

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