महासमुन्द
तुमगांव थाने में पति-पत्नी पर जुर्म दर्ज
जांच समिति द्वारा प्रस्तुत प्रतिवेदन के आधार पर शिकायत दर्ज कराई है
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुंद, 29 मई। तेरह साला से फ र्जी पट्टे से धान बेचने वाले मालिडीह के उप सरपंच व उसकी पत्नी के विरुद्ध तुमगांव पुलिस ने अपराध दर्ज किया है। आरोप है कि वर्षों से मालिडीह के उपसरपंच ने कलेक्टर और डीएफ ओ के फ र्जी सील और हस्ताक्षर से वन भूमि का पट्टा बनाकर धान बेचने के अलावा अन्य कार्य किया है। उपसरपंच और उसकी पत्नी के खिलाफ फ र्जी तरीके से करीब 10 एकड़ वनभूमि का पट्टा तैयार करने और समर्थन मूल्य पर धान बेचने के मामले में कलेक्टर व आदिवासी विकास शाखा की शिकायत पर आईपीसी की धारा 420, 467, 471, 468, 34 के तहत अपराध दर्ज किया गया है। आरोपी 2015 से 2020 तक मालीडीह ग्राम पंचायत का सरपंच भी रह चुका है।
मालूम हो कि महासमुंद जिले के तुमगांव थाना क्षेत्र के ग्राम मालीडीह निवासी उपसरपंच एवं उनकी पत्नी के खिलाफ कूटरचना कर फ र्जी तरीके से वन अधिकार पट्टा तैयार कर धान खरीदी केन्द्र तुमगांव में धान बेचने का मामला दर्ज किया गया है। जिला दण्डाधिकारी कार्यालय आदिवासी विकास शाखा जिला महासमुंद में पदस्थ सहायक आयुक्त शिल्पा साय ने जांच समिति द्वारा प्रस्तुत जांच प्रतिवेदन के आधार पर तुमगांव थाने में शिकायत दर्ज कराई है।
थाने में दर्ज शिकायत के मुताबिक ग्राम मालीडीह निवासी दिलीप असगर एवं कामता बाई को ग्राम मालीडीह वन क्षेत्र के खसरा नंबर 829.1 रकबा 1.95 हेक्टेयर एवं खसरा नंबर 829.2 रकबा 1.95 हेक्टेयर का किसी भी सक्षम प्राधिकारी द्वारा वन अधिकार पट्टा जारी नहीं किया गया था। इसके बावजूद दिलीप और कामता ने कूटरचना कर फर्जी तरीके से वन अधिकार पट्टा तैयार किया और धान खरीदी केन्द्र तुमगांव में बिक्री किया। इस हेतु उन्होंने पहले धान खरीदी केन्द्र में पंजीयन कराया था।
इस संबंध में शिकायत हुई तो गठित अधिकारियों की एक जांच दल ने जांच के दौरान आवेदक सरपंच, सचिव, ग्राम पंचायत मालीडीह निवासी मोहन चंद्राकर अध्यक्ष वन समिति मालिडीह एवं अनावेदक दिलीप असगर एवं कामता बाई असगर तथा घटना के संबंध में जानकारी रखने वाले ग्रामीण उत्तम सिन्हा, उद्धव प्रसाद सचिव वनाधिकार समिति ग्राम मालीडीह, सेवती बाई सदस्य वनाधिकार समिति ग्राम मालीडीह, ग्रामीण रविन्द्र कुमार चंद्राकर से पूछताछ की।
इस दौरान दिलीप असगर एवं कामताबाई असगर को व्यक्तिगत वनाधिकार पट्टा फ र्जी तरीके से तैयार कर विगत 12-13 वर्षों से खेती कर तुमगांव धान-खरीदी केन्द्र में पंजीयन कराकर धान विक्रय करना बताया गया। जांच के दौरान दिलीप असगर एवं कामताबाई ने व्यक्तिगत वनाधिकार पट्टा का मूल प्रति जांच दल के समक्ष प्रस्तुत नहीं किया। जबकि धान खरीदी केन्द्र में अनावेदकों ने व्यक्तिगत वनाधिकार पट्टे की छायाप्रति संलग्न किया था। उपरोक्तानुसार सभी तथ्यों के प्रकाश में आने के बाद जांच दल के सभी सदस्यों का स्पष्ट अभिमत है कि दिलीप असगर और कामता को कभी भी सक्षम प्राधिकारी द्वारा वनाधिकार प्रपत्र परिशिष्ट.बी.3, उपाबंध.2, क्रमांक.1114771 एवं 1114772 जारी नहीं किया गया है।
जांच दल के निर्णय में लिखा है कि अनावेदकों के द्वारा वनाधिकार पट्टे की मूलप्रति प्रस्तुत नहीं किये जाने से प्रतीत होता है, कि उनके द्वारा तथ्यों को छुपाने का प्रयास किया जा रहा है तथा प्रकरण में प्रस्तुत वनाधिकार प्रपत्र की छायाप्रति के अवलोकन से प्रतीत होता है कि अनावेदकों द्वारा तत्कालीन कलेक्टर महासमुंद,वनमण्डलाधिकारी महासमुंद एवं सहायक आयुक्त आदिवासी विकास जिला महासमुंद के हस्ताक्षर एवं पदमुद्रा को स्कैनिंग,फोटोशॉप तथा अन्य तकनीकी साधनों का उपयोग करते हुए फर्जी दस्तावेज तैयार किया गया है।
इस मामले की शिकायत के बाद पुलिस ने दिलीप असगर एवं कामताबाई के खिलाफ 34, 420, 467, 468, 471 के तहत अपराध कायम किया है। पिछले 13 साल से फ र्जी पट्टे से धान बेचने वाले मालिडीह के उप सरपंच व उनकी पत्नी के विरुद्ध तुमगांव पुलिस ने अपराध दर्ज किया है। आरोप है कि वर्षों से मालिडीह के उपसरपंच ने कलेक्टर और डीएफ ओ के फर्जी सील और हस्ताक्षर से वन भूमि का पट्टा बनाकर धान बेचने के अलावा अन्य कार्य किया है। उपसरपंच और उसकी पत्नी के खिलाफ फर्जी तरीके से करीब 10 एकड़ वनभूमि का पट्टा तैयार करने और समर्थन मूल्य पर धान बेचने के मामले में कलेक्टर व आदिवासी विकास शाखा की शिकायत पर आईपीसी की धारा 420, 467, 471, 468, 34 के तहत अपराध दर्ज किया गया है। आरोपी 2015 से 2020 तक मालीडीह ग्राम पंचायत का सरपंच भी रह चुका है।
ग्राम मालीडीह निवासी दिलीप असगर एवं कामता बाई द्वारा ग्राम मालीडीह वन क्षेत्र के खसरा नंबर 829.1 रकबा 1.95 हेक्टेयर और खसरा नंबर 829.2 रकबा 1.95 हेक्टेयर करीब 10 एकड़ जमीन की कूटरचना कर फ र्जी तरीके से वन अधिकार पट्टा तैयार कर धान खरीदी केन्द्र तुमगांव में पंजीयन कराया गया और धान बेचा गया है।