महासमुन्द

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुंद, 31 मई। जिला मुख्यालय सहित अंचल के गांवों में इन दिनों चिकन पॉक्स छोटी माता का प्रकोप है। शिशुओं और किशोर बालक इससे काफी प्रभावित हैं। इस बीमारी के चलते जहां अनेक चिकित्सालय पहुंच रहे वहीं अंचल के शीतला मंदिरों में भी लोग पनी चढ़ाने पहुंच रहे हैं, करीब 3-4 दिनों से यह बीमारी तेजी से फैल रही है। जानकारों का मानना है कि गर्मी के आगमन ओर ठंड की विदाई के दौरान यह बीमारी तेजी से फैलती है।
मिली जानकारी के अनुसार बीते कुछ दिनों में खरियार रोड से राजधानी के बीच यह बीमारी तेजी से फैल रही है। लिहाजा महासमुंद शहर के हाउसिंग बोर्ड कालोनी, दलदली मार्ग, पिटियाझर सहित आसपास के ग्रामों में अनेक केस आ चुके हैं। इससे प्रभावित मरीजों की उम्र 10 से 40 वर्ष तक है
हालांकि अब चिकन पॉक्स जानलेवा बीमारी नहीं रहीं लेकिन यह काफी पीड़ादायक रोग है। एक बार होने पर इसका असर सात दिनों तक काफी तीव्र रहता है। इससे अन्य लोगों के भी संक्रमित होने की आशंका रहती है। इसका टीका बच्चों को लगाया जाता है लेकिन कभी-कभी उसके बाद भी यह रोग होने की आशंका रहती है। साफ-सफाई के अभाव में इस बीमारी फैलने की आशंका रहती है।
जिले के चिकित्सक डॉ. देवेंद्र साहू के मुताबिक चेचक या चिकन पॉक्स वेरीसेला जोस्टर नामक वायरस के कारण फैलता है। इस विषाणु के शिकार लोगों के पूरे शरीर में फुंसियों जैसी चक्तियां हो जाती हैं। याद रखें कि हवा और खांसी के चिकन पॉक्स के 3 चरण ने बताया कि मौसम में बदलाव की वज़ह से इसका संक्रमण तेजी से फैलता है। ऐसे में चिकित्सकों के सलाह से ही दवाओं का सेवन करें। एंटी बायोटिक से परहेज करें।
इनका कहना है कि चिकन पॉक्स में दाने चेहरे और छाती पर शुरू होते हैं और फिर पूरे शरीर में फैल जाते हैं। यह छोटे, द्रव से भरे फ फ ोले के साथ खुजलीदार दाने का कारण बनता है। यह उन लोगों में माध्यम से संक्रमण एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति के शरीर तक पहुंच जाता है। स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक चिकन पॉक्स के रोगी को घर से कम से कम निकलना चाहिए।
इससे एक परिवार का संक्रमण दूसरे परिवार तक पहुंचने से रुकेगा। रोगी के पास खूब सफाई रखें। जिससे संक्रमण बढऩेे न पाए। रोगी के कपड़ों को सुखाएं तथा हवादार स्थान पर रहने की कोशिश करें। इसके साथ ही नींबू, नारियल व दाल के पानी का भरपूर उपयोग करें। दवाओं का उपयोग कम करें तथा पहले चरण में चकत्ते दिखाई देते हैं।
वे गांठें भी हो सकती हैं जो गुलाबी या लाल रंग की होती हैं। इन्हें पपल्स के नाम से जाना जाता है। वे आपके पूरे शरीर पर दिखाई देते हैं।
यदि बीमार व्यक्ति एक वयस्क हैं जिसे पहली बार चिकनपॉक्स हुआ है, तो उन्हें कई लक्षण दिखाई देंगे। जैसे शरीर में दर्द, गले में खराश, खांसी, थकान, बुखार के अलावा, दाने दिखाई देंगे जो चिकनपॉक्स का एक स्पष्ट संकेत है। यहां तक कि जिन लोगों को चिकन पॉक्स का टीका लग चुका है, उनमें भी मध्यम लक्षण हो सकते हैं। इसे डॉक्टरों द्वारा ब्रेक चिकन पॉक्स कहा जाता है जो विशेष रूप से संक्रामक है। हालांकि यह एक जानलेवा बीमारी नहीं है। लेकिन जटिलताएं पैदा कर सकती है। शिशुओं में चिकन पॉक्स सबसे आम संक्रमण है। लेकिन यह वयस्कों को संक्रमित कर सकता है। सिटी क्लीनिक सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार रोजाना आसपास ग्रामों से मरीज यहां पहुंच रहे हैं।