रायपुर

सिगरेट के धुएं में कैंसर कारक 70 रसायन
31-May-2023 4:59 PM
सिगरेट के धुएं में कैंसर कारक 70 रसायन

संजीवनी, रोटरीनॉर्थ, महाराष्ट्र मंडल, वाईएमएस यूथ फाउंडेशन द्वारा जागरूकता कार्यक्रम

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 31 मई।
विश्व तंबाकू निषेध दिवस के अवसर पर, संजीवनी कैंसर केयर फाउंडेशन, रोटरीक्लब नॉर्थ, महाराष्ट्र मण्डल , एवं वायएमएस यूथ फाउंडेशन के संयुक्त तत्वावधान में जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में संजीवनी कैंसर केयर फाउंडेशन के डायरेक्टर एवं कैंसर सर्जन डॉ. यूसुफमेमन, रोटरीक्लब नार्थ के अध्यक्ष श्यामसुंदर खंगन, अशोक श्रीवास्तव, अरविंद जोशी, सुबोध टोले, विशाखा तोप खाने वाले, महाराष्ट्र मण्डल के अध्यक्ष अजय काले सचेतक रविद्रठेंगडी, एवं वायएमएस यूथ फाउंडेशन के अशोक श्रीवास्तव, महेंद्र सिंगहोरा, सुरेश छाबड़ा, अमित जैन एवं कैंसर सर्जन डॉ. अर्पण चतुर्मोहता, रक्त रोग एवं ब्लड कैंसर विशेषज्ञ डॉ. विकास गोयल, कैंसर सर्जन डॉ. दिवाकर पांडेय, मेडिकल ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. राकेश मिश्रा, क्लिनिकल ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. अनिकेत ठोके, आदि उपस्थित थे। 

डॉ. युसूफमेमन ने बताया कि तंबाकू के सेवन से भारत में हर साल 13 लाख से अधिक मौतें होती हैं। जो प्रति दिन 3500 मौतों के बराबर है। तम्बाकू से होने वाली मौतों और बीमारियों के अलावा देश के आर्थिक और सामाजिक विकास पर भी प्रभाव पड़ता है। केवल तंबाकू से कई प्रकार के कैंसर और बीमारियों के लिए एक प्रमुख कारण है। बल्कि धूम्रपान करने वाले स्वयं अकेले नहीं आसपास के लोग, जिनमें उनके बच्चे, साथी, दोस्त, सहकर्मी और अन्य लोग शामिल हैं, उन्हें भी तंबाकू के धुएं से कैंसर हो सकता है।

डॉ. अर्पण चतुर्मोहता ने बताया कि जब तंबाकू के हानिकारक प्रभाव से लोग केवल फेफड़ों के कैंसर के बारे में सोचते हैं। हालांकि तंबाकू का सेवन (सिगरेट और सिगार सहित) फेफड़ों के कैंसर के दस में से नौ मामलों का कारण बनता है। शरीर में मूत्राशय(ब्लैडर), रक्त और फेफड़े (एक्यूटमायलोइडल्यूकेमिया) सहित कैंसर का कारण बन सकता है। गर्भाशय ग्रीवा(सर्विक्स), बृहदान्त्र(कोलोन) और मलाशय(रेक्टम), अन्नप्रणाली(इसोफेगस), गुर्दे(ब्लैडर) और रेनलपेल्विस, यकृत(लिवर), फेफड़े, ब्रांकाई और श्वासनली, मुंह और गले, टोबैको की वजह से कैंसर हो सकता है।

सीनियर कैंसर सर्जन डॉ दिवाकर पांडे ने साझा किया कि सिगरेट, सिगार और पाइप से निकलने वाले धुएं में कम से कम 70 रसायन कैंसर का कारण बन सकते हैं। जब कोई व्यक्ति उस धुएं में सांस लेता है। तो रसायन उनके ब्लड स्ट्रीम में प्रवेश करते हैं। इससे कई रसायन आपके डीएनए को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं। 

डॉ. विकास गोयल ने इस वर्ष के विश्व तंबाकू निषेध दिवस की थीम तंबाकू हमारे पर्यावरण के लिए खतरा के बारे में बताते हुए कहा कि तंबाकू विश्व स्तर पर हर साल 80 लाख से अधिक लोगों की मृत्यु का कारण बनता है। साथ ही यह पर्यावरण को नष्ट कर रहा है। तंबाकू के सेवन से शरीर के लगभग हर अंग में कैंसर होने की संभावना होती है।

डॉ अनिकेत ठोके एवं डॉ राकेश मिश्रा ने  उन्होंने बताया कि  20 मिनट के बाद रक्तचाप (ब्लड प्रेशर) और नाड़ी की दर (पल्सरेट) सामान्य हो जाती है, हमारे शरीर के रक्त में ऑक्सीजन का स्तर आठ घंटे के बाद सामान्य हो जाता है, दिल का दौरा पडऩे का खतरा कम होने लगता है, 24 घंटे के बाद कार्बन मोनोऑक्साइड शरीर से बाहर निकल जाती है, स्वाद और गंध की इंद्रियों में सुधार होता है, 72 घंटे के बाद सांस लेना आसान हो जाता है, फिर हमारे शरीर में ऊर्जा का स्तर बढऩे लगता है। 
 

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