दुर्ग

विस आम चुनाव लडऩे तैयार सर्व आदिवासी समाज-अरविंद नेताम
05-Jun-2023 4:55 PM
विस आम चुनाव लडऩे तैयार सर्व आदिवासी समाज-अरविंद नेताम

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
दुर्ग, 5 जून।
पूर्व केंद्रीय मंत्री अरविंद नेताम ने छत्तीसगढ़ में सर्वआदिवासी समाज का एक मजबूत संगठन खड़ी कर आदिवासियों को उनका समग्र अधिकार दिलाने की मुहिम छेड़ दी है। इस कड़ी में उनका संगठन 2023 का राज्य असेम्बली चुनाव भी लड़ेगा।

संक्षिप्त प्रवास पर दुर्ग पहुंचे श्री नेताम ने कहा जल, जंगल व जमीन के मसले पर विभिन्न आदिवासी समाज के दो दर्जन आंदोलन बस्तर में ही चल रहे है, किन्तु सरकार का कोई नुमाइंदा यह पूछने भी नही आता कि उनकी मांगें क्या है। आज की सरकारें जनसरकारो के प्रति भयानक तौर पर उदासीन है। पहले ऐसा नही होता था। 

कांकेर के पूर्व सांसद अरविंद नेताम ने राजनीतिक व्यवस्था, नौकरशाही, नक्सल आंदोलन, भ्रष्टाचार, राज्य व केन्द्र सरकार जैसे मसलों पर अपनी बेबाक राय रखी। श्री नेताम ने कहा कि ढाई-तीन दशक बाद दुर्ग के पत्रकारों से मुखातिब हो रहा हूँ। अपने राजनीतिक जीवन में दुर्ग-भिलाई से बहुत कुछ सीखा है। राज्य निर्माण के समय से बाबा साहब के बनाये कानून का ईमानदारी से पालन हो इस मकसद से सर्व आदिवासी समाज ने अपना काम शुरू किया था। 15 साल से इस संस्था से जुड़ा हु। आदिवासी समाज ने महसूस किया कि जिन सरकारों पर कानून के परिपालन की जिम्मेदारी है, वहीं सरकारें कानून तोड़ रही है। लंबे धरना प्रदर्शन के बाद भी सरकार की नींद नहीं खुलती, लिहाजा आदिवासी समाज ने महसूस किया कि वोट की राजनीति में उतर कर अपना काम बनाया जाए। 2018 में मन्तव्य पूरा नहीं हुआ। उसके बाद के इन पांच सालों में सर्व आदिवासी समाज ने प्रत्याशी उतारने की योजना को ध्यान में रखकर काम किया है। वह कई छोटे दलों से गठजोड़ करेगा और अपना रास्ता बनाएगा।

उन्होंने बताया, छत्तीसगढ़ में 29 आदिवासी आरक्षित सीटों के अलावा 20 सीट ऐसे और भी हैं, जहां 40 फीसदी वोटर आदिवासी है। इन सीटों को भी अपने साथ लाने की रणनीति पर उनका संगठन आगे बढ़ रहा हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री श्री नेताम ने आगे कहा कि हमारे समाज की कहीं सुनवाई नही होती। अतएव हमने अन्य समाजो को साथ लेकर बड़ा मोर्चा बनाने का नीतिगत फैसला लिया है। कई दलों से बातचीत चल रही है। 

पेसा है अद्वितीय कानून
श्री नेताम ने कहा कि 1996 में हम लोगो ने पेसा कानून बनाया था। ऐसा कानून न पहले बना था और न बनेगा। आज केंद्र की हो चाहे राज्य की, दोनों सरकारें इसकी धज्जिया उड़ा रही है। खनिज संसाधनों के अंधाधुंध दोहन में ग्राम सभा के नियंत्रण के अधिकार को खत्म कर दिया गया, पर किसी जनप्रतिनिधि ने इसके खिलाफ एक शब्द नही कहा।भविष्य में जंगल भी प्राइवेट सेक्टर में चला जाएगा, यह अभी से दिख रहा है। दोहन हो, मगर अंधाधुंध न हो।

अबूझमाड़ में निक्को का ठेका गलत
 अबूझमाड़ में निक्को कम्पनी को माइंस का ठेका गलत ढंग से दिया गया है। भानुप्रतापपुर से खुदाई शुरू करने के बजाय कम्पनी जहां चाह रही है वहां बेतहाशा खुदाई कर रही है और उन्हें रोकने वाला भी कोई नहीं। सिलगेट में दो साल से स्थानीय आदिवासी आंदोलन कर रहे है पर कोई नायाब तहसीलदार उनकी खैरख्वाह पूछने भी नहीं आता, ऐसे में आदिवासी क्या करें। राजनीति हमारा शौक नहीं मजबूरी है।

समाज को जगाने आंदोलन
श्री नेताम ने कहा कि सामाजिक आंदोलन से ही समाज जागता है। आदिवासी समाज के सियासी नेता अपने लोगो की आवाज नहीं उठाते। बस्तर में पुलिसिंग अहम है। प्रशासनिक कंट्रोल इन्हीं के पास है। 

धर्मांतरण के मुद्दे पर उन्होनें लचर कानून को दोष देते हुये कहा कि ईसाई मिशनरीज के कई लोग कन्वर्जन के लिए 24 घन्टे शिकार तलाशते घूमते है। सेवा भाव से दिल जीतेंगे तभी धर्मातरण रुकेगा।

नक्सली मुद्दे पर राजनीतिक इच्छाशक्ति का अभाव बताते हुए धुरंधर आदिवासी नेता अरविंद नेताम ने कहा कि अशिक्षा, भूख, बेरोजगारी, अज्ञानता, अभाव, गरीबी इसके मूल कारण है। कभी कभी लगता है कि छत्तीसगढ़ राज्य बनने से कोई बड़ी गलती हो गई हो। नौकरशाहों को इस राज्य में लूट मचाने का जैसे लायसेंस मिल गया है। छत्तीसगढ़ ऐसा चारागाह बन गया है जहां बाहर से आकर लोग मनमर्जी धन कमाते है और निकल जाते है।
 

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news