रायपुर
रायपुर, 8 जून। वैकल्पिक विवाद निवारण (एडीआर) का कोई विकल्प नहीं है और वर्तमान माहौल में मध्यस्थता का कोई विकल्प नहीं है, ऐसा मेरा दृढ़ विश्वास है।
सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता रवीन्द्र श्रीवास्तव ने लंदन में आयोजित ... थॉट लीडर्स फॉर डिस्प्यूट रिजोल्यूशन .... विषय पर आयोजित परिचर्चा में कहा कि भारत में न्यायिक व्यवस्था ध्वस्त सी हो गई है। मध्यस्थता का परिदृश्य भारत में उतना बेहतर नहीं है। न्याय तक पहुंच सच से अधिक एक मिथक है। मध्यस्थता के संबंध में हाल ही में हो रही बहुत सारी चर्चाएं और साथ ही विधायी हस्तक्षेप स्वागत योग्य पहल है। कम से कम कुछ एहसास तो हो रहा है।
श्रीवास्तव ने कहा कि उनका सुदीर्घ अनुभव कहता है कि मध्यस्थता में सफलता की संभावना और क्षमता बहुत अधिक होती है, जब यह जागरूकता से और इच्छा से स्वैच्छिक होती है; या तो पक्षकार इतने समझदार हैं कि वे यह महसूस कर सकें कि मुकदमेबाजी से कुछ नहीं होता है। परिचर्चा में सुप्रीम कोर्ट की न्यायमूर्ति सुश्री हिमा कोहली ने मुख्य वक्ता के रूप में अपने विचार रखे।