सरगुजा
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
अम्बिकापुर, 8 जून।जिला प्रशासन की और से रामगढ़ महोत्सव में सरस कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। संचालन वरिष्ठ कवि डॉ. सपन सिन्हा ने किया।
वरिष्ठ कवि अजय शुक्ल बाबा ने कालिदास रचित ‘मेघदूतम्’काव्य की चर्चा करते हुए मर्मस्पर्शी कविता पेश की -मेघदूतम् के पृष्ठों को आर्द्र बनाकर छोड़ गया है जब से बादल, पानी के अक्षर रोते हैं ते हैं चुपचाप खड़े पहाड़ पर । कवयित्री पूर्णिमा पटेल ने ने रामगढ़ पर हां छा रहे मेघों को देखकर विरही कालिदास के हृदय में विरह व्यथा बढऩे की बात अपने बात अपने काव्य में कही।
सीताबेंगरा भारत देश की ख्याति है। रामजी के वनगमन की याद हमें दिलाती है। कविवर श्यामबिहारी पाण्डेय ने रामगढ़ को राम से भी बड़ा बताने में जरा भी संकोच नहीं किया राम का नाम लेकर खड़ा हो गया। रामगढ़ राम से भी बड़ा हो गया। इन पहाड़ों ने दी थी शरण राम को, अब अवध के महल-सा बड़ा हो गया।
वरिष्ठ कवि एसपी जायसवाल ने वनवासी राम की रामगढ़ प्रवास की सुंदर झांकी पेश की भगवान राम ला जे घरी वनवास होइस बोरेक दिन इहवा बिताइन वो कांदा-कुसा खात रहिन भुइँया में सुतेवर घास- फूस उसात रहिन। कवि प्रकाश कश्यप ने भी फरमाया कि पर्वत यह रामगढ़ का प्रभु का भान कराए ज्ञान कराए।
कवि विनोद हर्ष ने यहां तक कह दिया कि शिला, गुफा, रामनाम है, पुण्यभूमि राम की यह अपने दोहे में रामनाम भजन को प्रस्थान पुरुषोत्तम श्रीरामजी, प्रस्तुति देकर श्रीराम चरित्र के कुंड, कंदरा में राम लिपि, चित्र भी कश्यप ने सही कहा कि रामगढ़ का सच्चा काम बताया- भजते जाएं।
राम के नाम का राम की कृपा यह कवि सम्मेलन में आगंतुक सभी राम को, सांचा है यह काज लोभी सरल ने अपने युगल गीत में राम- कराया। वरिष्ठ कवि डॉ. सपन सिन्हा रामनाम के मंत्र का करें निरंतर कि राम से ही हो गया नाम राम इस कवियों ने रामकाव्य का पठन करते नाचे लोभ पर हंसते कुटिल सीता के पारस्परिक प्रेम का बहुत ने काव्यप्रेमी श्रोताओं को नेक जाप मिट जाएंगे कष्ट सथ कट ग्राम का।
माता कौशिल्या की मनोदशा का किया करुण चित्रण
राम वनगमन के पश्चात् माता कौशिल्या की मनोदशा का करुण चित्रण कवयित्री सीमा तिवारी ने अपने गीत में बखूबी किया। रो-रो कहती है माता कौशिल्या राम जीवन हमारा नहीं है। वो वो गया बेसहारा हुई में, समाज में इन मेरा सहारा नहीं है।