रायगढ़
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायगढ़, 9 जून। शहर के चक्रधर नगर क्षेत्र के अंतर्गत सेठी नगर दुर्गा मंदिर परिसर में बुधवार को भव्य कलश यात्रा के साथ नौ दिवसीय श्री राम कथा का शुभारंभ हुआ। रायगढ़ के कथा व्यास पं मोहन कृष्ण तिवारी (मोनू महाराज) के सानिध्य में विद्वान पंडितों के मंत्रोच्चारण के साथ केलो नदी बेलादुला खर्राघाट से पवित्र जल कलश में लेकर महिलाएं कथा स्थल सेठी नगर दुर्गा मंदिर परिसर पहुंची जहां विधिवत् कलश स्थापना की गई।
इसी तरह बाजे गाजे के साथ उत्साह व धार्मिक पूर्ण वातावरण में रामकथा व्यास उठाया गया और कथा वाचक पं श्री तिवारी जी महाराज को पूरे सम्मान के साथ कथा स्थल तक ले जाया गया। इसके पश्चात कथा प्रारंभ हुआ।
मातृ मंडल समूह सेठी नगर द्वारा आयोजित श्री रामकथा के पूर्व संध्या वहां मौजूद श्रोता भक्तों में काफी उत्साह रहा। भव्य कलश यात्रा व स्थापना के पश्चात बुधवार शाम करीब 4 बजे विधिवत पूजा अर्चना के साथ कथा का शुभारंभ किया गया। व्यासपीठ पर विराजमान शहर के युवा कथा वाचक पं मोहन कृष्ण तिवारी जी ने पहले दिन श्री राम कथा के महत्व को बताया। उन्होंने कहा कि रामकथा सुनने से जीवन में बहुत बड़ा बदलाव आता हैं। घर,समाज,परिवार में जीने का ढंग आता हैं। राम कथा वह सुंदर ताली हैं जिसे बजाने से जीवन की संशय रूपी पक्षी उड़ जाते हैं।
महाराज जी के कथा को सुनकर वहां उपस्थित कथा के मुख्य यजमान दिग्विजय चंद्रा व कोमल चंद्रा सहित अन्य श्रोतागण भाव विभोर हो गए। कथा के दौरान महाराज के साथ आए नया रायपुर के कलाकारों द्वारा प्रस्तुत भजनों ने भी मंत्रमुग्ध होने के लिए श्रोताओं को मजबूर कर दिया।
यहां आयोजित नौ दिवसीय श्री राम कथा के आयोजन में मार्गदर्शन के रूप में पं नन्हा महाराज, आचार्य में पवन दुबे जी महाराज (भटगांव), पंडितो में सोमेश तिवारी जी महाराज, संगीत में तुकाराम निर्मलकर, यशवंत पटेल तबला, देवेंद्र धीवर ढोलक व चेतन निषाद पैड वाद्ययंत्र में अपनी प्रस्तुति दे रहे हैं।
सेठी नगर दुर्गा मंदिर परिसर में आयोजित श्री राम कथा के अंतर्गत 7 जून बुधवार को कलश यात्रा, बेदी पूजन,श्री राम कथा महिमा, 8 जून को सती चरित्र, शिव पार्वती मंगल परिणय ( विवाह), 9 जून को भगवान श्री राम जन्मोत्सव,10 जून को बाल लीला,11 जून सीताराम विवाह,12 जून को श्री राम वनवास केवट प्रसंग, 13जून को भरत चरित्र,14 जून को सीता हरण शबरी प्रसंग,15 जून को रावण वध, राम राज्याभिषेक तथा 16 जून को हवन पूर्णाहुति व भंडारा के साथ समापन होगा।