दुर्ग
आयोजित होंगे 4 पीएचडी वायवा
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
दुर्ग, 10 जून। हेमचंद यादव विवि, दुर्ग में शोध कर रहे 703 शोधार्थियों में से 45 शोधार्थियों ने अपना शोधकार्य पूर्ण कर थीसिस की संक्षेपिका जमा कर दी है। वहीं 30 शोधार्थियों ने अपनी पीएचडी थीसिस भी मूल्यांकन हेतु विवि में जमा कर दी है।
इन 30 शोधार्थियों में से 19 शोधार्थियों को हेमचंद यादव विवि, दुर्ग द्वारा पीएचडी की डिग्री प्रदान करने संबंधी अधिसूचना जारी हो चुकी है। इनमें से 14 शोधार्थियों को विवि द्वारा आयोजित प्रथम दीक्षांत समारोह में डिग्री प्रदान की जा चुकी है। विवि के अधिष्ठाता छात्र कल्याण एवं पीएचडी सेल प्रभारी, डॉ. प्रशांत श्रीवास्तव ने बताया कि जून माह में 04 पीएचडी शोधार्थियों के वायवा ऑफलाईन तथा ऑनलाईन रूप से आयोजित होंगे। इनमें एक वायवा हिन्दी विषय का, एक गणित, दो शिक्षा संकाय के होंगे।
इससे पूर्व आयोजित पीएचडी वायवा के बाद जिन शोधार्थियों को पीएचडी की उपाधि प्रदान की जा चुकी है उनमें समाजशास्त्र के 03, रसायन का 01, शिक्षा संकाय के 05, राजनीतिशास्त्र का 01, गणित का 01, वाणिज्य के 03, हिन्दी के 03, अर्थशास्त्र के 02 शोधार्थी शामिल है। डॉ. श्रीवास्तव ने बताया कि वर्तमान में विवि में 19 विषयों में 335 मान्यता प्राप्त शोध निर्देशक है। जिनके मार्गदर्शन में 703 शोधार्थी शोधरत है। यूजीसी के नियमानुसार प्राध्यापक के मार्गदर्षन में 08, एसोसिएट प्रोफेसर के मार्गदर्शन में 06, तथा असिसटेंट प्रोफेसर के मार्गदर्शन में 04 शोधार्थी शोधकार्य कर सकते है। इन सीटों के आबंटन में आरक्षण नियमों का पालन करना आवश्यक है।
जैसे-जैसे शोधार्थियों को पीएचडी की डिग्री आबंटित होती जाती है। वैसे-वैसे उनके शोधनिर्देशकों को आबंटित शोधार्थी की सीट संख्या रिक्त मानी जाती है। वर्तमान में सर्वाधिक शोधछात्रों की संख्या शासकीय वी.वाय.टी. पीजी स्वशासी महाविद्यालय, दुर्ग में है जहां 18 विषयों में लगभग 300 से अधिक शोधार्थी शोधकार्य कर रहे है। दूसरे नंबर पर कल्याण महाविद्यालय, भिलाई तथा शासकीय दिग्विजय महाविद्यालय, राजनांदगांव आते हैं।