बेमेतरा

राम मंदिर ट्रस्ट की भूमि वापस नहीं होने पर प्रदेश स्तर पर होगा आंदोलन-हिन्दू संगठन
30-Sep-2023 2:49 PM
राम मंदिर ट्रस्ट की भूमि वापस नहीं होने पर प्रदेश स्तर पर होगा आंदोलन-हिन्दू संगठन

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बेमेतरा, 30 सितम्बर।
हिंदू संगठनों ने बेमेतरा विधायक आशीष छाबड़ा पर नियमों के विरुद्ध राम मंदिर ट्रस्ट की भूमि का अंतरण कराने के लिए संरक्षण देने का आरोप लगाया है। 
शुक्रवार को एक पत्रवार्ता के दौरान अंतरराष्ट्रीय हिंदू परिषद के प्रदेश महामंत्री दीपक दुबे, प्रदेश अध्यक्ष राष्ट्रीय बजरंग भीम साहू, जिला महामंत्री रायपुर असीम आचार्य एवं जिला प्रमुख सनातन हिंदू धर्म समाज बेमेतरा आदित्य सिंह ने बताया कि तत्कालीन कलेक्टर रहे अनंत तायल ने न्यास की भूमि को अदला-बदली करने का नियम नहीं होने पर जिस प्रकरण को नस्तीबद करने के आदेश दिए थे, उसके बाद भी 2 माह पहले की तारीख में रामचंद्र मूर्ति मंदिर न्यास की भूमि का अंतरण किया गया।

अधिकारियों पर बनाया दबाव 

तत्कालीन एसडीएम द्वारा कलेक्टर आदेश के पूर्व न्यास की जमीन को अदला-बदली किए जाने का खुलासा करते हुए प्रेसवार्ता के दौरान हिंदी संगठनों ने दस्तावेज प्रस्तुत करते हुए कहा कि श्रीराम मंदिर की भूमि को बेमेतरा विधायक ने अपने करीबियों के नाम कराया। बेमेतरा में श्रीरामचंद्र मंदिर ट्रस्ट की भूमि लगभग 5 एकड़, जिसे अधिकारियों पर दबाव बनाकर बेमेतरा विधायक ने अपने करीबी रिश्तेदार सुमित कौर, पति बलमीत सिंह सलूजा के नाम कर दी। वहीं इसके अलावा ट्रस्ट की बची हुई भूमि में से करीब चार एकड़ भूमि पर पक्की सडक़ का निर्माण कराया जा रहा है। ताकि ट्रस्ट की भूमि की उपयोगिता पूर्णता खत्म की जा सके। इसमें हिंदू धर्म के विरुद्ध षड्यंत्र का एहसास होता है।

एसडीएम पर भी आरोप  

हिंदू संगठनों ने आगे कहा कि 4 नवंबर 2020 को कलेक्टर के लिखित आदेश में कहा गया है कि श्री राम मंदिर ट्रस्ट समिति की भूमि लोक न्यास की भूमि है। लोक न्याय अधिनियम 1963 के प्रावधानों के अनुसार न्यास भूमि का अंतरण संभव नहीं है। बावजूद इसके कलेक्टर के आदेश के विरुद्ध जाकर तत्कालीन एसडीएम ने भूमि अंतरण करने का आदेश 26 सितंबर 2020 को कूट रचना करके दे दिया।

कोरोना काल में हुई अंतरण की कार्रवाई 

कोरोना काल के दौरान इन सारी कार्रवाई को अंजाम देने के आरोप लगाए जा रहे हैं। उस समय सभी शासकीय कार्यालय बंद करने का आदेश था। तब भी राजस्व विभाग ऐसे मामलों को अंतिम रूप देने के लिए खोला गया था। 3 सितंबर 2021 को तत्कालीन एसडीएम ने कोरोना काल के दौरान श्री राम मंदिर की अंतरण करने का आदेश दे दिया। हिंदू संगठनों ने एसडीएम, तहसीलदार पर कार्यालय से फाइलें गायब करवाने के आरोप भी लगाए हैं। जिससे प्रतीत होता है कि, किस तरह से राम मंदिर बेमेतरा भूमि का अधिकारियों के साथ मिलकर विधायक बेमेतरा ने बंदरबाट किया।

न्यायालय जाने की भी तैयारी

सनातन हिंदू समाज के पदाधिकारियों ने कहा है कि श्री रामचंद्र मंदिर ट्रस्ट की भूमि यथा स्थान वापस देने और भूमि का अवैध अंतरण करने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई को लेकर ज्ञापन सौपा गया है। अभी प्रतीकात्मक आंदोलन हुआ है। कार्रवाई नहीं होने की स्थिति में बेमेतरा शहर से लेकर प्रदेश स्तर पर व्यापक रूप से इस मामले को लेकर आंदोलन किया जाएगा। साथ ही सनातन हिंदू समाज उच्च न्यायालय की शरण में जाने के लिए बाध्य होगा।

फायदे के लिए बनाई सडक़  

इस मामले में लोक निर्माण विभाग का एक कारनामा भी सामने आया है। जहां विभाग की ओर से निजी भूमि पर सडक़ का निर्माण कराया जा रहा है। इसके बाद किसानों को आसपास की भूमि बेचने का दबाव बनाया जा रहा है।

विधायक ने अपने करीबी रिश्तेदार को लाभ देने के लिए श्री रामचंद्र मूर्ति मंदिर ट्रस्ट की भूमि अंतरण कर व्यावसायिक लाभ के लिए जो सडक़ बनाई गई है उसे पीडब्ल्यूडी को बनाने का अधिकार नहीं है। पीडब्लूडी निजी भूमि पर सडक़ निर्माण नहीं कर सकता।

सभी आरोप झूठे 

विधायक आशीष छाबड़ा ने कहा कि यह सभी आरोप झूठे हैं। मैंने अपने अधिवक्ता के माध्यम से संबंधितों को कानूनी नोटिस भेजा है। नोटिस के अनुसार राम मंदिर ट्रस्ट की अचल सम्पत्ति का अंतरण एवं विनिमयन पंजीकृत दस्तावेजों के आधार पर किए गए हैं। जिसमें परिजन का प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कोई संबंध नहीं रहा है। आरोपों के संबंध में कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया है।
 

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