राजनांदगांव

छत्तीसगढ़ की प्राचीन संस्कृति एवं परंपराओं से बनी पहचान -भूपेश
01-Oct-2023 3:05 PM
छत्तीसगढ़ की प्राचीन संस्कृति एवं  परंपराओं से बनी पहचान -भूपेश

चातुर्मास महोत्सव के समापन समारोह में सीएम हुए शामिल

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 1 अक्टूबर।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल शनिवार को राजनांदगांव जिले के छुरिया विकासखंड के ग्राम सांकरदाहरा में चातुर्मास महोत्सव के समापन अवसर पर आयोजित राष्ट्रीय संत सम्मेलन एवं किसान मिलन समारोह में शामिल हुए।

उन्होंने कहा कि सरकार का उद्देश्य जनता की सेवा करना है। गरीब एवं जरूरतमंदों, माताओं, वनांचल क्षेत्र के आदिवासियों, किसान, मजदूर एवं संत महात्मा की सेवा करना है। हमारी सरकार ने लगातार इस दिशा में कार्य करते लगभग 5 वर्ष पूर्ण किया है और इन 5 वर्षों में कई चुनौतियां भी रही। संतों का ध्यान गौवंश की रक्षा में रहता है। गौ सेवा करने से संतों का आशीर्वाद मिलता है, क्योंकि यह संतों के हृदय की बात होती है। पहले छत्तीसगढ़ नक्सलगढ़ के नाम से जाना जाता था, लेकिन अब छत्तीसगढ़ हमारी प्राचीन संस्कृति और परम्पराओं के लिए जाना जा रहा है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ को संत महात्माओं का आशीर्वाद लगातार मिल रहा है और छत्तीसगढ़ आगे बढ़ रहा है। 

उन्होंने कहा कि कृषि के क्षेत्र में ट्रेक्टर एवं हारवेस्टर जैसे आधुनिक यंत्र आ गये हैं। डेयरी एवं गौपालन अब घाटे का सौदा हो गया है। बैल को खुले में छोड़ देने के कारण फसलों को नुकसान होता है। सरकार द्वारा गौठान की परम्परा को मजबूत करने की कोशिश की गई। गौठानों को पुनर्जीवित करते साढ़े 10 हजार गौठान बनाए गए हैं।  10 हजार 250 गौठान पूर्ण हो गए हैं, जो शेष रह गये हैं, उन्हें भी जल्द ही पूर्ण कर लिया जाएगा। सरकार द्वारा गौठानों के माध्यम लगभग डेढ़ लाख एकड़ जमीन आरक्षित की गई है। बिना किसी विवाद एवं दण्ड के गौमाता के नाम से प्रदेश भर में गौठान एवं चारागाह के लिए जमीन आरक्षित की गई। गौठानों को आर्थिक रूप से मजबूत करने के लिए हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं। 

मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि गौमाता गौठान डे-केयर के रूप में रहे और शाम को गौमाता अपने मालिक के पास रहे, ताकि लोगों का जुड़ाव गौमाता से बना रहे। गौठानों में गोधन न्याय योजना के तहत 2 रूपए प्रति किलो में गोबर खरीदी की है। अब तक 135 लाख क्विंटल गोबर खरीदी की गई है और 270 करोड़ रूपए गोबर बिक्री करने वाले पशुपालकों के खाते में चला गया है। खरीदे गये गोबर से वर्मी कम्पोस्ट का निर्माण किया गया और 12 लाख क्विंटल से अधिक वर्मी कम्पोस्ट खेतों में पहुंच गया है और हम जैविक खेती की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। 

इस अवसर पर अंनत श्री विभूषित कनिष्ठ जगत गुरू शंकराचार्य स्वामी आत्मानंद सरस्वती जी महाराज, महात्यागी महामण्डलेश्वर श्रीराम बालक दास जी सहित अन्य संतगण समेत  इन्द्रशाह मंडावी, दलेश्वर साहू, छन्नी साहू, यशोदा वर्मा, श्री महामंडेलश्वर राजेश्री डॉ. महंत रामसुंदर दास,  तेजकुंवर नेताम,  धनेश पाटिला, जितेन्द्र मुदलियार, हेमा देशमुख, नवाज खान, विवेक वासनिक, संजय जैन, भोलाराम साहू, गिरवर जंघेल, डोमन सिंह, अभिषेक मीणा, अमित कुमार, अश्वन कुमार सहित अन्य अधिकारी-कर्मचारी एवं बड़ी संख्या में किसान व नागरिकगण उपस्थित थे। 
 

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