बस्तर

सुकमा का बेटा बना मेकाज का न्यूरोसर्जन, बचा चुके 6 की जान
28-Jul-2024 2:06 PM
सुकमा का बेटा बना मेकाज का  न्यूरोसर्जन, बचा चुके  6 की जान

मेकाज से अब गंभीर रूप से घायलों को रायपुर नहीं करना पड़ेगा रेफर

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

जगदलपुर, 28 जुलाई। मेडिकल कॉलेज डिमरापाल में गंभीर रूप से घायल  मरीजों के साथ ही दिमाग मे होने वाले इन्फेक्शन आदि का इलाज अब मेकाज में आसानी से हो जाएगा, जिसका सबसे बड़ा कारण है कि सुकमा जिले के बारसेरास में पले बढ़े डॉ. पवन बृज ने रायपुर की नौकरी छोड़ बस्तर के मेकाज को चुना और यहां के लोगों की परेशानियों को देखते हुए यहां पर अपनी सेवा दे रहे हैं।

बताया जा रहा है कि शहीद महेंद्र कर्मा चिकित्सालय सह बलिराम कश्यप मेमोरियल मेडिकल कॉलेज में न्यूरोसर्जन की लगातार कमी चल रही थी, यहां पर कोई भी न्यूरोसर्जन आना भी नहीं चाह रहे थे, ऐसे में बस्तर में लगातार होने वाले सडक़ हादसे से लेकर दिमाग मे जमने वाले खून के धक्के को निकालने के लिए रायपुर या फिर विशाखापत्तनम जाना पड़ता था।

कुछ दिनों पहले यहां पर न्यूरोसर्जन डॉ. पवन ब्रिज की नियुक्ति की गई, उनके आने के बाद से ही उन्होंने एक सप्ताह में छह न्यूरोसर्जरी करके मरणासन्न मरीजों को जीवनदान दिया है, जिसमें से तीन रोगी डिस्चार्ज होकर अपने घर भी जा चुके हैं।

 बताया जा रहा है कि इनमें से कई लोग सडक़ हादसे में घायल होने के बाद उन्हें मस्तिष्क में गंभीर चोट आने की बात भी सामने आई, वहीं मस्तिष्क में खून का थक्का भी जमा हो गया था और वे लोग बेहोशी की हालत में भी आये थे, ऐसे में डॉ. पवन बृज के द्वारा ऑपरेशन के बाद गंभीर रूप से घायल मरीज का इलाज के बाद उन्हें नया जीवनदान दिया।

 एक रोगी को बीपी के कारण मस्तिष्क में खून का थक्का जम गया था, जिसका ऑपरेशन कर तो दिया गया है, लेकिन अभी भी उसकी स्थिति गंभीर ही बनी हुई है, अभी तक लगभग 70 मरीजों को भर्ती कर उनका इलाज किया गया है, एवं वर्तमान में मस्तिस्क एवं स्नायु संबंधित रोगों के मरीजों की प्रतिदिन ओपीडी में इलाज किया जा रहा है।

 अब मेडिकल कॉलेज में सिर में चोट, रीढ़ की हड्डी का चोट, लकवा, कमर दर्द (सियाटिका/स्लिप डिस्क), मिर्गी के दौरे, हाथ पैर सुन्नपन, बच्चों के सिर का असामान्य रूप से बढऩा, दिमाग की नस का फटना, ब्रेन स्ट्रोक आदि बीमारियों का इलाज मेकाज में संभव हो गया।

  न्यूरोसर्जन डॉ. पवन बृज ने बताया कि वे सुकमा के बारसेरास में पैदा हुए, उसके बाद उन्होंने अपनी प्रायमरी की पढ़ाई भी वहीं गाँव से करने के बाद आगे की पढ़ाई दंतेवाड़ा के मॉडल स्कूल से की। शुरू से लोगों की सेवा और बस्तर में चिकित्सकों की कमी को देखते हुए डॉक्टर बनने की सोची। एमबीबीएस की पढ़ाई रायपुर के पं. जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज से की, वहीं मास्टर ऑफ सर्जरी की पढ़ाई असम से की।

इस कोर्स को करने के बाद एमसीएच(सुपर स्पेशलिस्ट न्यूरोसर्जन) रायपुर के डीकेएस पीजीआई से की।

 डॉ. पवन बृज का कहना है कि वे बस्तर में मरीजों की स्थिति को देखते हुए रायपुर डीकेएस हॉस्पिटल की नॉकरी छोड़ बस्तर में सेवा दे रहे है, इसके अलावा वे हमेशा से बस्तर में ही जॉब करना चाह रहे थे, जिसके लिए वे बस्तर के गरीब तबके लोगों को नि:शुल्क लाभ मिल सके।

मेकाज के अधीक्षक डॉ. अनुरूप साहू ने सभी बस्तर वासियों से अपील भी की है कि अपने परिवार व संबधित  चिकित्सकों को मेडिकल कॉलेज डिमरापाल, सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल में अपनी सेवाएं दें।

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