गरियाबंद

भक्तामर तप की आराधना प्रारंभ, 11 उपवास के तपस्वी विशेष झाबक का बहुमान
28-Jul-2024 3:06 PM
भक्तामर तप की आराधना प्रारंभ, 11 उपवास के तपस्वी विशेष झाबक का बहुमान

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

नवापारा-राजिम, 28 जुलाई। आचार्य श्री मानतूंगाचार्य द्वारा रचित भक्तामर स्तोत्र महाप्रभावी मंत्र है। शुद्ध मन से इस मंत्र के जाप से मनवांछित कार्य सिद्ध होते हैं। श्री संघ का परम सौभाग्य है कि ऐसे चमत्कारी स्तोत्र की आराधना के लिए मूलनायक के रूप में जिनालय में प्रभु आदिनाथ जी की प्रतिमा प्रतिष्ठित है। स्थानीय श्वेताम्बर जैन मंदिर प्रांगण में अपने उद्बोधन में चातुर्मासार्थ विराजित पू. संघमित्रा श्री जी ने कही।

पूज्यवरों की प्रेरणा एवं मार्गदर्शन में आज भम्तामर तप की शुरुआत हुई। इस तप में जिनालय में बारह प्रदक्षिणा, काउसग्ग, खमासणा, अक्षत से स्वस्तिक बनाने की क्रिया होगी। श्री संघ के अनेक श्रावक श्राविकाओं ने आदिनाथ प्रभु के समक्ष श्रीफल अर्पणकर लेप का पचक्खाण लिया। देव वंदन के साथ तप का शुभारंभ हुआ।

ग्यारह उपवास के तपस्वी विशेष झाबक का बहुमान

साध्वी त्रय की पावन सानिध्यता में चातुर्मास के प्रथम दीर्घ तप के तपस्वी के रूप में आज विशेष झाबक सुपुत्र विवेक झाबक ने ग्यारह उपवास की तपस्या साता पूर्वक संपन्न की।

संघ के वरिष्ठ सुश्रावक ऋषभचंद बोथरा ने तिलक माल्यार्पण कर तपस्वी का बहुमान किया। उपस्थित संघ सदस्यों ने भी तपस्वी के तप की अनुमोदना की। आज का आयंबिलाप खुशबू पारख के द्वारा एवं अखंड तेला के क्रम में मिताली बोथरा का प्रथम उपवास था।

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news