धमतरी
छत्तीसगढ़’ संवाददाता
धमतरी, 4 अगस्त। कैचमेंट एरिया कांकेर जिले से पानी की आवक लगातार बांध में हो रही है। गंगरेल बांध में 10270 क्यूसेक पानी की आवक हो रही, जबकि गंगरेल बांध के 5 मुख्य गेट से 10 हजार क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है। यहां पानी रुद्री बैराज से आगे बढक़र महानदी में बहाया जा रहा है। सुरक्षा के लिहाज से नदी तटीय गांव में अलर्ट जारी किया गया है
32.150 टीएमसी क्षमता के गंगरेल बांध 28.814 टीएमसी है।
बांध अभी खतरे के निशान से महज 1.10 मीटर दूर है। गंगरेल बांध से छोड़ा जा रहा पानी रुद्री बैराज पहुंच रहा है। गंगरेल बांध से जितना पानी रुद्री में आ रहा है, सभी पानी महानदी में छोड़ा जा रहा है।
बांधों में पानी
बांध क्षमता जलभराव प्रतिशत
गंगरेल 32.150 28.814 88 प्रतिशत
मुरूमसिल्ली-5.839 4.355 74 प्रतिशत
दुधावा- 10.192 7.159 70 प्रतिशत
सोंढूर- 6.995 5.263 72 प्रतिशत
पूजा-अर्चना कर खोला गया था सभी 14 गेट
जल प्रबंधन संभाग कोड-38 के ईई आशुतोष सारस्वत ने बताया कि 2 अगस्त को सभी गेट खोलने का उद्देश्य मॉकड्रिल था। अफसरों ने गेट खोलकर जांचा की कहीं गेट में कुछ खामियां तो नहीं हैं। सभी गेट 2022 में खुले थे। सालभर के अंतराल में गेटों में कई दिक्कत होने की संभावना थी, इसलिए इसकी जांच की गई। इस दौरान प्रदेश के चीफ इंजीनियर केएस गुरूवर, एसी पीके पाल गंगरेल बांध पहुंचे थे। कंट्रोल रूम में उन्हें बांध की स्थिति से अवगत कराया। पूजा-अर्चना कर नारियल तोड़ा। बांध से छोड़े जा रहे पहले पानी से किसी तरह की कोई जनहानि न हो इसके लिए प्रार्थना की। इसके बाद शाम 5.30 बजे बांध के एक गेट को खोलकर पानी बहाया गया था। बांध के सभी 14 गेट को 5-5 मिनट के अंतराल में खोल दिया गया, जिससे 1400 क्यूसेक पानी प्रति सेकंड बहाया गया। करीब आधे घंटे तक बांध खुला रखने के बाद इसे फिर से बंद कर दिया गया।
6 साल में बनकर तैयार हुआ था गंगरेल बांध
जल संसाधन विभाग के मुताबिक करीब 6 साल तक लगातार काम चलने के बाद साल 1978 में गंगरेल बांध बनकर तैयार हुआ था। जब बांध अस्तित्व में आया, तब तक 55 गांव इसके जलग्रहण क्षेत्र में समा चुके थे। इनमें गंगरेल, चंवर, चापगांव, तुमाखुर्द, बारगरी, कोड़ेगांव, मोंगरागहन, सिंघोला, मुड़पार, कोरलमा, कोकड़ी, तुमाबुजुर्ग, कोलियारी, तिर्रा, चिखली, कोहका, माटेगहन, पटौद, हरफर, भैसमुंडी, तासी, तेलगुड़ा, भिलई, मचांदूर, बरबांधा, सिलतरा, सटियारा समेत अन्य गांवों के लोग ऊपरी क्षेत्रों में आकर बस गए। गंगरेल बांध में जल भराव होने के बाद 55 गांवों में रहने वाले 5 हजार 347 लोगों की 16 हजार 496.62 एकड़ निजी जमीन व 207.58 एकड़ आबादी जमीन सहित कुल 16 हजार 704.2 एकड़ जमीन डूब गई।