रायगढ़

रायगढ़-धरमजयगढ़ वन क्षेत्रों में अतिक्रमण पर एनजीटी ने आंखे तरेरी
06-Aug-2024 7:02 PM
रायगढ़-धरमजयगढ़ वन क्षेत्रों में  अतिक्रमण पर एनजीटी ने आंखे तरेरी

  कहा- संरक्षित व रिजर्व फॉरेस्ट की जमीन पर पड़ रहा दुष्प्रभाव  

राज्य में वन भूमि पर अतिक्रमण की स्थिति चिंताजनक 

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

रायगढ़, 6 अगस्त। रायगढ़ और धरमजयगढ़ वन मंडलों में अवैध अतिक्रमण की समस्या गंभीर हो गई है, जिससे संरक्षित और रिजर्व फॉरेस्ट की जमीन पर दुष्प्रभाव पड़ रहा है। छत्तीसगढ़ राज्य में वन भूमि पर अतिक्रमण की स्थिति चिंताजनक है, जिसे नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने गंभीरता से लिया है।

वन विभाग ने रिपोर्ट दी है कि रायगढ़ जिले में लगभग 33 हेक्टेयर वन भूमि पर अवैध कब्जा हो चुका है। यह आंकड़ा नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल द्वारा मांगे गए डाटा का हिस्सा है। हालांकि, राजस्व विभाग ने अभी तक इस संदर्भ में कोई रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं की है, जिससे अतिक्रमण की संपूर्ण तस्वीर स्पष्ट नहीं हो पाई है।

वन भूमि पर अतिक्रमण का एक प्रमुख कारण उद्योगों का विस्तार और बढ़ती जनसंख्या है। उद्योगों की वृद्धि के कारण वन भूमि का तेजी से दोहन हो रहा है, जबकि बढ़ती जनसंख्या वनों पर दबाव डाल रही है। इसका परिणाम यह है कि छत्तीसगढ़ जैसे वनवृत्त क्षेत्र में भी वनों की सुरक्षा एक चुनौती बन गई है। दूसरी तरफ इसी वजह से ही हाथी-मानव द्वंद की घटनाओं में भी लगातार इजाफा देखने को मिल रहा है।

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने छत्तीसगढ़ के वन भूमि पर अतिक्रमण की स्थिति पर ध्यान दिया है और राज्य शासन से प्रत्येक जिले में अतिक्रमण की स्थिति का ब्योरा मांगा है। एनजीटी की रिपोर्ट के अनुसार, वन भूमि पर अतिक्रमण की जानकारी केवल वन विभाग ने प्रस्तुत की है, जिसमें रायगढ़ जिले में 33.661 हेक्टेयर भूमि पर अतिक्रमण की बात की गई है।

राजस्व विभाग भी वन भूमि पर अतिक्रमण के आंकड़े रखता है, लेकिन इसने अभी तक अपनी रिपोर्ट एनजीटी को नहीं दी है। रायगढ़ जिले में कुल 1,74,608 हेक्टेयर वन भूमि है, जिसमें राजस्व वन और रिजर्व फॉरेस्ट शामिल हैं। राजस्व विभाग के आंकड़े अतिक्रमण की समस्या को स्पष्ट कर सकते हैं, लेकिन इन आंकड़ों का अभाव रिपोर्ट में महत्वपूर्ण जानकारी की कमी को दर्शाता है।अतिक्रमण की समस्या को दूर करने के लिए दोनों विभागों के बीच समन्वय की आवश्यकता है। इसके लिये वन विभाग और राजस्व विभाग को मिलकर एक साझा रिपोर्ट तैयार करनी होगी, जो अतिक्रमण की सही तस्वीर पेश कर सके।

 इसके अलावा, राज्य सरकार को अतिक्रमण हटाने और वनों की सुरक्षा के लिए प्रभावी कदम उठाने की आवश्यकता है।

अतिक्रमण के खिलाफ सख्त कानून और नीतियों को लागू करने, और वन भूमि की सुरक्षा के लिए नियमित निगरानी को बढ़ावा देने से ही इस समस्या का समाधान संभव है।

इस पूरे मामले में एनजीटी का कहना है कि वन भूमि पर अतिक्रमण एक गंभीर समस्या है, जो न केवल पर्यावरण बल्कि स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र को भी प्रभावित कर रही है। इसके समाधान के लिए एक समन्वित प्रयास की आवश्यकता है, जिसमें सरकारी विभाग, स्थानीय समुदाय और न्यायिक निकायों की भूमिका महत्वपूर्ण होगी।

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