रायपुर
गायब, शिक्षा अफसर के खिलाफ थाने में शिकायत
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 10 सितंबर। रायपुर जिले के स्कूलों में नि:शुल्क, और अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार के कानून के तहत बालकों को प्रवेश देने संबंधी रिकॉर्ड गायब होने की शिकायत कोतवाली थाने में की गई है। इस पूरे मामले में सामाजिक कार्यकर्ता देवेन्द्र अग्रवाल ने तत्कालीन जिला शिक्षा अधिकारी की भूमिका पर सवाल खड़े किए हैं और उन पर अपराध दर्ज करने की मांग की है।
अग्रोहा कॉलोनी निवासी देवेन्द्र अग्रवाल ने बताया कि आरटीई अधिनियम 2009, और नियम 2010 के अनुसार कोई भी निजी स्कूल वर्ष-2012-13 से सभी मापदंड पूरा किए बिना नहीं चलाया जा सकता। साथ ही मान्यता प्राप्त स्कूलों में कक्षा 1 से आरटीई कानून के तहत न्यूनतम 25 फीसदी पात्र गरीब बालकों को दाखिला दिया जाना था। किंतु तत्कालीन जिला शिक्षा अधिकारी ने अपने कार्यकाल के 6 साल में कानून की धज्जियां उड़ाई।
अग्रवाल ने कहा कि बंजारा के कार्यकाल के मान्यता संबंधी पूर्ण दस्तावेज नहीं है और उक्त दस्तावेज गायब है। इसी तरह तत्कालीन जिला शिक्षा अधिकारी की पदस्थापना के पहले तीन बड़े अशासकीय स्कूलों पर केपिटेशन फीस वसूलने के मामले में कार्रवाई हुई थी। इस पूरे मामले में जो दस्तावेज तत्कालीन जिला शिक्षाधिकारी की जवाबदेही तय करते थे उसके रिकॉर्ड से गायब है। उन्होंने यह भी कहा कि तत्कालीन जिला शिक्षाधिकारी के खिलाफ आरोप पर पर्याप्त साक्ष्य हैं जो कि आरटीआई से प्राप्त हुए हैं।
अग्रवाल ने कहा कि प्रकरण पर एफआईआर होने के बाद भी कथन के लिए तमाम दस्तावेज प्रस्तुत करेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि इस प्रकरण पर कोई कार्रवाई नहीं होने पर हाईकोर्ट में याचिका दायर की जाएगी।