दन्तेवाड़ा
दन्तेवाड़ा, 01 जनवरी। बालक आश्रम श्यामगिरी, कुआकोण्डा की सहायक शिक्षिका ममता वर्मा के बेहतर शैक्षणिक प्रयासों और नवाचारों के लिए टीम लक्ष्यवेध दंतेवाड़ा के द्वारा सप्ताह के नायक के रूप में चयन किया गया है।
लक्ष्यवेध जिला दंतेवाड़ा, सूरजपुर, कोरबा, गौरेला, पेंड्रा, मरवाही, धमतरी और नारायणपुर की संयुक्त टीम के तत्वाधान में लक्ष्य वेध कार्यक्रम के समन्वयक मोहनलाल खरे के माध्यम से ऑनलाइन सम्मान कार्यक्रम में सप्ताह के नायक के रूप में ममता वर्मा के नाम की घोषणा किया गया साथ ही उन्हें जिला शिक्षा अधिकारी राजेश कर्मा, जिला मिशन समन्वयक एस एल शोरी एवं लक्ष्य वेध समन्वयक दंतेवाड़ा मोहनलाल खरे के हस्ताक्षर युक्त प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया।
ज्ञात हो कि लक्ष्यवेध कार्यक्रम के अंतर्गत 21वीं सदी की शैक्षणिक तकनीक और 6 कौशल विकास से जुड़ी चुनौतियों के मद्देनजर पूरे राज्य के शिक्षकों और छात्रों को नए शिक्षण कौशल के माध्यम से तैयार किए जाने की शुरुआत की गई है जिसे लक्ष्यवेध के रुप में प्रदेश में संचालित किया जा रहा है। आज के कार्यक्रम में दंतेवाड़ा के साथ-साथ सूरजपुर, कोरबा, धमतरी, गौरेला पेंड्रा मरवाही, जगदलपुर के साथ-साथ रायगढ़ के साथी भी जुड़े थे।
ममता वर्मा ने बताया, मैंने अपने शिक्षक के रूप मे कार्य का सफर 2013 से शुरू किया। मेरे लिए ट्राईबल एरिया मे जॉब करना किसी चुनौती से कम नहीं था क्योंकि यहां की बोली एवं परिवेश से मैं अपरिचित थी, पर धीरे-धीरे जब मैं अपने बच्चों के साथ मिलने लगी तो मुझे यहां की बोली एवं परिवेश भी समझ में आने लगी आज मैं अपने बच्चों के लिए बहुत कुछ करना चाहती हूं इसलिए मैं नए नए तरीके अपनाकर के बच्चों को पढ़ाई में आगे लाना चाहती हूं क्योंकि मैं चाहती हूं कि यहां के बच्चे सिर्फ जंगल तक सीमित ना रहे वह बाहर की दुनिया भी देखें और बाहर की दुनिया में अपना नाम रोशन करें इसी मकसद से मैं हर दिन बच्चों को मोटिवेट करते रहती हूं। 2013 से मैं बालक आश्रम श्यामगिरी विकासखंड कुआकोंडा में कार्यरत हूं एवं तब से लेकर के आज तक मैं बच्चों को उन्हीं तरीकों से पढ़ाते रही जिन तरीकों से मैंने अपने शिक्षकों से सीखा था कुछ कुछ चीजें मैं अपने से बच्चों को सिखाते आई हूं जैसे बिल्लस का खेल से मैं बच्चों को हिंदी का वर्णमाला एवं बारहखड़ी को भी सिखाने का प्रयास करती हूं।
आगे बताया, मैं सत्र 2020 में लक्ष्य वेध से जुड़ी। सर्वप्रथम मैंने प्रशिक्षण लिया लक्ष्य वेध अंतरराष्ट्रीय शिक्षण पद्धति है जिसमें बच्चों के ऊपर 6 नुस्खों का प्रयोग किया जाता है लक्ष्य वेध के नुस्खो को बच्चों के ऊपर प्रयोग करना मानो कि जैसे एक चमत्कार होता है बच्चे स्वयं से सीखते हैं बच्चों के पीछे मुझे ज्यादा मेहनत नहीं करना पड़ता बस मुझे बच्चों को प्रेरणा देना होता है कि बच्चे किस प्रकार से कार्य करेंगे। लक्ष्य वेध के प्रशिक्षण लेने के उपरांत मैंने अपने अध्यापन पद्धति में बहुत कुछ बदलाव देखा आज मैं अपने अध्यापन पद्धति से बहुत संतुष्ट हूं और इसके लिए मैं लक्ष्य वेध के स्वप्न दृष्टा नंदकुमार सर एवं लक्ष्य वेध के प्रेरणा स्रोत सुनील मिश्रा एवं दंतेवाड़ा जिला के मार्गदर्शक मोहनलाल खरे को बहुत-बहुत धन्यवाद देना चाहती हूं, इस कार्य में हमारे जिला शिक्षा अधिकारी का सहयोग मिलना सोने पर सुहागा हो गया है। इस कार्य में सप्ताह के नायक चयनित होने वाले शिक्षक को श्री कर्मा द्वारा सर्टिफिकेट प्रदान किया जाता है जो कि किसी भी शिक्षक के लिये बहुत बड़ा उपलब्धि होती है।