धमतरी
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
धमतरी, 7 जनवर। सूचना का अधिकार अधिनियम एवं छत्तीसगढ़ अशासकीय विद्यालय फीस विनियमन अधिनियम-2020 के संबंध में आयोजित उन्मुखीकरण कार्यक्रम सह कार्यशाला में कलेक्टर जयप्रकाश मौर्य ने निजी स्कूल प्रबंधन एवं संचालकों को सम्बोधित करते हुए कहा कि किसी समाज को वास्तविक दशा और दिशा शिक्षा से ही मिल सकती हैं। स्कूल प्रबंधन इस बात पर विशेष ध्यान दें कि शिक्षा में गुणवत्ता लाने के साथ-साथ वह शिक्षा को लाभ देने वाली व्यावसायिक संस्थान न समझें, बल्कि सभी बच्चों में हरहाल में समानता बनाए रखें।
स्थानीय विंध्यवासिनी वार्ड के सामुदायिक भवन में आयोजित कार्यक्रम की द्वितीय पाली में निजी शाला प्रबंधन समिति के सदस्यों को संबोधित करते हुए कलेक्टर ने कहा कि शिक्षण संस्थानों को ‘नो प्रोफिट, नो लॉस‘ की नीति के साथ संचालित करने के उद्देश्य से सरकार द्वारा कल्याणकारी नीति के तहत अनुमति दी जाती है, ताकि बच्चे अपना भविष्य बेहतर ढंग से संवार सकें। इसलिए वे अपने दिमाग से यह बात निकाल लें कि वे व्यावसायिक लक्ष्य लेकर बच्चों को पढ़ा रहे हैं। उन्होंने आगे कहा कि शुल्क के तौर पर जो राशि पालकों से ली जाती है, उसका अधिकांश हिस्सा बच्चों की शिक्षा-दीक्षा और मानसिक विकास पर ही खर्च करना चाहिए। वहीं स्कूल प्रबंधन के साथ-साथ पालकों को भी यह बात अच्छी तरह से समझ लेनी चाहिए कि अंकों से विद्यार्थी की योग्यता को नहीं आंका जा सकता। यह आवश्यक नहीं कि बेहतर अंक अर्जित करने वाले छात्र ही कामयाब इंसान बने। इसलिए बच्चे के मानसिक स्तर का मनोवैज्ञानिक विश्लेषण कर उसके हुनर को अंजाम देने का यथासंभव प्रयास करें। कलेक्टर ने बताया कि जिला स्तर पर गठित फीस समिति प्रशासन और निजी स्कूलों के मध्य समन्वय स्थापित कर समय-समय पर शुल्क का ऑडिट भी करेगी, जिसके लिए स्कूल प्रबंधन को आवश्यक सहयोग करना होगा।
इसके पहले, जिला शिक्षा अधिकारी रजनी नेल्सन ने छत्तीसगढ़ अशासकीय विद्यालय फीस विनियमन अधिनियम-2020 के तहत विभिन्न प्रावधानों पर प्रकाश डालते हुए समिति के अधिकारों एवं कार्यों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि उक्त समिति का कार्यकाल दो साल का होगा, जिसके अध्यक्ष कलेक्टर होंगे व पांच नामांकित सदस्य होंगे। समिति के सदस्य सचिव जिला शिक्षा अधिकारी होंगे। उन्होंने बताया कि जिले में 216 अशासकीय विद्यालय हैं जिसमें 81 प्राथमिक, 71 माध्यमिक, 18 हाई स्कूल तथा 46 हायर सेकण्डरी स्कूल शामिल हैं। जिला शिक्षा अधिकारी ने यह भी बताया कि उक्त अधिनियम की धारा-3 के तहत गठित समिति विद्यालय की वर्तमान फीस में अधिकतम 8 प्रतिशत तक की वृद्धि का अनुमोदन कर सकेगी। विद्यालय प्रबंधन समिति के सभी सदस्य, वैयक्तिक तथा संयुक्त रूप से इस अधिनियम के प्रावधानों का पालन करने के लिए जिम्मेदार होंगे। यदि विद्यालय प्रबंधन समिति अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन करती है तथा सक्षम न्यायालय में दोषसिद्ध होने पर प्रथम उल्लंघन के लिए 50 हजार रूपए एवं उसके बाद भी नियमों का उल्लंघन किए जाने पर एक लाख रूपए या इसके समकक्ष जुर्माने का प्रावधान किया गया है।