कोरिया
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बैकुंठपुर, 10 जनवरी। शनिवार को पुलिस ने 4 वर्ष पुराने मामले में 5 आरोपियों को न्यायालय में पेश कर रिमांड पर ले कर जेल दाखिल कर दिया। बहुचर्चित प्रेमाबाग की भूमि के मामले में पुलिस ने बडी कार्यवाही की है, वहीं सूत्रों की माने में पुलिस अभी और आरोपियों की तलाश में जुटी है।
इस संबंध में डीएसपी धीरेन्द्र पटेल का कहना है कि फिलहाल न्यायालय से 5 आरोपियों को रिमांड पर लिया गया है। सभी को जेल दाखिल किया गया है आगे कार्यवाही जारी है।
इस संबंध मेें जेल दाखिल होने से पहले कांग्रेस के नेता चंद्रप्रकाश राजवाड़े ने बताया कि उनका इस मामले से कोई लेना देना ही नही था, जिस वक्त प्रेमाबाग प्रकरण हुआ उस वक्त वो मौके पर भी नहीं थे, मेरे विरूद्ध बेवजह झूठी शिकायत करवाई गई और मुझे मामले में साजिश के तहत फंसाया गया, मुझे न्यायालय पर पूरा भरोसा है, मै न्यायलय का सम्मान करता हूं। मुझे न्याय मिलेगा।
दरअसल, 2 वर्ष पूर्व कोरिया जिलामुख्यालय बैकुंठपुर के प्रेमाबाग का मामला सुर्खियों मे तब आया जब मामले में प्रेस कांफ्रेस कर बिल्डर संजय अग्रवाल ने बताया कि उनके विरूद्ध जिस तरह से विष्णु सिंह ने मनगढं़त आरोप मढ़े थे उनसे वो बरी हुए है और उन्हें कमिश्नर सरगुजा से भूमि के प्रकरण में न्याय मिला है। वर्ष 2017 में बिल्डर समेत सभी आरोपियों पर धारा 188, 294, 506, 323, 395, 427, 447, 448, 467, 468, 120 बी, 452, 419, 471, 420 और एससी एसटी एक्ट के तहत मामला दर्ज था। मामला बीते 4 साल से पेंडिंग था और इस वर्ष प्रेमाबाग प्रकरण की फाइल पुलिस ने फिर खोल डाली और जांच डीएसपी रैंक के अधिकारी करने लगे। पुलिस ने शुक्रवार को प्रतापपुर निवासी अब्दुल रहीम, बैकुंठपुर निवासी मो युसूफ, असीनुद्दीन, विरेन्द्र चंद्र और चंद्रप्रकाश राजवाड़े को हिरासत में लेकर जेल निरूद्ध कर दिया।
न्यायलय में चल रहा है विवाद
मामले में बीते 4 वर्ष से अपनी भूमि का वापस लेने की लडाई लड़ रहे विष्णु सिंह सिविल न्यायालय पहुंच गए। पीडि़त विष्णु सिंह बताते है कि न्यायालय ने भूमि स्वामी के वारिस को 20 से ज्यादा बार नोटिस देकर न्यायालय में हाजिर होने को कहा, नहीं आने पर दो बार अखबारों मेें सूचना भी छपवाई, परन्तु वो अभी तक न्यायालय में उपस्थित नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि कोरोना के कारण सिविल न्यायालय में देरी हो रही है, एक मामला कमिश्नर और राजस्व मंडल के आदेश के खिलाफ हाई कोर्ट में भी चल रहा है। यहां भी कोरोना के कारण थोड़ी देरी हो रही है।
वारिस से पहले हुई ड्रायवर की भूमि
विष्णु सिंह ने बताया कि सबसे बड़ी बात तो यह है कि फर्जी वारिस अब्दुल रहीम से पहले ड्रायवर के नाम से मुख्तारनामा बन गया, बाद में फर्जी वारिस के नाम भूमि हुई। इसी मामले से पुलिस ने जांच शुरू हुई तो इतनी बड़ी कार्रवाई हुई है।