कोण्डागांव

गरीबी-बेरोजगारी से तंग युवती ने की खुदकुशी की कोशिश
10-Jan-2021 8:28 PM
गरीबी-बेरोजगारी से तंग युवती ने की खुदकुशी की कोशिश

  शासकीय योजना व रोजगार के लिए आवेदन करते-करते आवेदनों की संख्या भूली   

शंभू यादव

कोण्डागांव, 10 जनवरी (छत्तीसगढ़ संवाददाता)। बेरोजगारी और अपने परिवार की आजीविका के लिए परेशान सिटी कोतवाली कोण्डागांव क्षेत्र की एक युवती ने आत्मघाती कदम उठाया है।

आत्मघाती कदम उठाने वाली युवती की माने तो, वह परिवार के लिए कुछ करना चाहती हैं, स्वयं शिक्षित होना चाहती हैं। लेकिन गरीबी से परेशान युवती ना तो पढ़ाई पूरी कर पाई हैं, और ना ही वर्तमान में उसके या उसके परिवार के पास कोई रोजगार हैं। ऐसे में उसने परेशान होकर चूहामार दवा खा ली। फिलहाल युवती को कोण्डागांव के जिला अस्पताल आरएनटी से उपचार के बाद छुट्टी दे दी गई है। वहीं युवती के इस आत्मघाती कदम पर कोण्डागांव कलेक्टर पुष्पेन्द्र मीणा ने सहयोग की बात कही है।

जानकारी अनुसार, छत्तीसगढ़ वित्तीय वर्ष 2019-20 में रोजगार देने के मामले में देश के बड़े राज्यों में शीर्ष पर रहा। इस दौरान प्रदेश के लिए स्वीकृत 13 करोड़ मानव दिवस रोजगार के विरुद्ध यहां 13 करोड़ 61 लाख 84 हजार 269 मानव दिवस रोजगार का सृजन किया गया है। तो वहीं कोण्डागांव जिले की बात करें तो मात्र 24 लाख 33 हजार मानव दिवस रोजगार का सृजन हुआ। वित्तीय वर्ष 2019-20 में सबसे अधिक रोजगार देने के नाम से प्रदेश सरकार ने देशभर में जमकर वाहवाही भी बटोरी। इस सब के उलट कोण्डागांव जिला में ऐसा मामला प्रकाश में आया है जिसमें एक युवती ने अपनी आजीविका के लिए साधन नहीं होने से परेशान होकर आत्महत्या करने की कोशिश की।

मामला विकासखण्ड फरसगांव व सिटी कोतवाली कोण्डागांव अंतर्गत लंजोड़ा गांव का है। लंजोड़ा गांव की 21 वर्षीय सपना पांडे ने कुछ दिनों पूर्व अपनी बेरोजगारी से परेशान होकर चूहामार दवा खा ली थी। उसे कोण्डागांव के जिला अस्पताल आरएनटी में दाखिल किया गया है।

  सपना पांडे के अनुसार, वह अपनी बेरोजगारी, परिवार की आर्थिक स्थिति व लाचारी से परेशान हैं। सपना की माने तो, उसकी परिवार एक किसान परिवार है, परिवार में उसके साथ पिता घुडऱाम पांडे, मां सनिता पांडे, भाई परमेश्वर व फलेंद्र कुल पांच सदस्य शामिल हैं। उनके पास वर्तमान में रोजगार के लिए केवल उनका 3 एकड़ खेत है, जो कि पांच सदस्यों के परिवार के लिए नाकाफी है। सपना पांडे कुछ करना चाहती हैं, पढऩा चाहती है, लेकिन उसकी गरीबी उसके पढ़ाई के आगे भी अड़चन बनकर खड़ा हो जाता है।

कॉलेज की परीक्षा देने के लिए नहीं थी फीस, छोडऩी पड़ी पढ़ाई

सपना की माने तो वह कोण्डागांव के शासकीय गुण्डाधुर स्नातकोत्तर महाविद्यालय की छात्रा रह चुकी हैं। यहां अध्ययन करते हुए वह सेकंड ईयर में सप्लीमेंट्री आई। अब जब उसे परीक्षा देना था तो पूरक परीक्षा फार्म भरने के लिए उसके पास पर्याप्त रुपए नहीं थे। ऐसे में सपना का वह अंतिम वर्ष रहा, जब उसने पढ़ाई की। इसके बाद से वह अपनी पढ़ाई पूरी करने के लिए रुपए इक_ा करने की कोशिश में लगी हुई हैं।

साल भर पहले हादसे में पिता पैरों से निशक्त हुए, अब तक नहीं मिला सहयोग

सपना व उसके परिजनों के अनुसार लगभग एक साल पूर्व उनके पिता घुडऱाम पांडे एक हादसे का शिकार हो गए। परिजनों की माने तो, घुडऱाम पर लकड़ी का गोला गिर गया था। इस हादसे के बाद से परिवार के मुखिया विकलांग हो गए। किसी तरह उनका इलाज तो हो गया, लेकिन परिवार जिनके रोजगार पर आश्रित था, उनके ही विकलांग हो जाने से आर्थिक तंगी और अधिक बढ़ गई। परिजनों ने आगे बताया, दिव्यांग हो जाने के बाद अब तक विकलांगता श्रेणी में कोई पेंशन या आर्थिक सहयोग नहीं मिला है।

शासकीय नौकरी के लिए किए आवेदनों की संख्या भूली

आर्थिक तंगी से परेशान सपना ने कई बार शासकीय नौकरी के लिए आवेदन किया है। सपना के अनुसार, उसने परिवार के कृषि से प्रेरित होकर कक्षा ग्यारहवीं में कृषि संकाय में प्रवेश लिया, लेकिन उत्तीर्ण ना हो सकी। ऐसे में उसने वर्ष 2015 में कला संकाय से बारहवीं उत्तीर्ण की। वर्ष 2015 में बारहवीं उत्तीर्ण होने के बाद से सपना लगातार शासकीय नौकरी के लिए आवेदन करती आई हैं। उसने सबसे पहले जिला पुलिस बल, उसके बाद शासकीय चतुर्थ श्रेणी भर्ती के लिए आवेदन किया। दोनों जगह असफल रहने के बाद भी उसने कई अन्य भर्तियों के लिए आवेदन किया।

साल बदला, सरकार बदली और आवेदनों की संख्या भी बढ़ती चली गई। लेकिन उसे नौकरी नहीं मिला, अब सपना को भी याद नहीं रहा कि, उसने कितने संस्थाओं व भर्तीयों के लिए आवेदन किया हैं।

शासकीय योजना से मांगा साइकिल व सिलाई मशीन, आज तक इंतजार

चूहा मार दवा का सेवन करने बाद उसका उपचार भी हो गया, लेकिन सपना के जीवन से परेशानियों का उपचार नहीं हो रहा। सपना की माने तो, अपने आर्थिक परेशानी से उबरने के लिए उसने स्व रोजगार का निर्णय लिया। ऐसे में सपना ने कोण्डागांव अजीविका साधन के लिए शासकीय योजना से साइकिल और सिलाई मशीन की मांग की, ताकि अपने परिवार का किसी तरीके से आर्थिक सहयोग कर सके। परंतु सपना को यहां से भी निराशा ही हाथ लगी। सपना के अनुसार, विभागीय योजना का उसे लाभ मिल पाता कि, इससे पहले विभाग के पास से साइकिल और सिलाई मशीन समाप्त हो गई और उसे खाली हाथ घर लौटना पड़ा।

स्वरोजगार के लिए दिया जाएगा योजना का लाभ, पढ़ाई के लिए किया जाएगा आर्थिक सहयोग - कलेक्टर

इस मामले पर कोण्डागांव कलेक्टर पुष्पेन्द्र कुमार मीणा ने कहा, ऐसे सूचना मिली है कि, एक युवती ने आर्थिक तंगी से परेशान होकर आत्महत्या की कोशिश की है। युवती के पास अधिकारियों का दल भेजा जाएगा, और देखा जाएगा कि क्या युवती ने किसी शासकीय योजना के लिए आवेदन किया था। कई योजना के तहत लाभ मिल सकता है, लोन दिया जा सकता है। स्वरोजगार की इच्छुक है तो संबंधित विभाग से स्वरोजगार का भी लाभ दिलाया जाएगा। यदि युवती आगे पढऩा चाहती है तो उसके लिए सहयोग किया जाएगा।

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