राजनांदगांव
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 12 जनवरी। नगर निगम नेता प्रतिपक्ष किशुन यदु ने एक बयान जारी करते कहा कि जिले में अमृत मिशन योजना को शुरू हुए लगभग 3 वर्ष हो चुके हैं। हर योजना के लिए केंद्र राज्य सरकार द्वारा लगभग 200 करोड़ रुपए की स्वीकृति दी गई है, लेकिन योजना अभी तक अपने मूल स्वरूप को प्राप्त नहीं कर पाई है। इसके साथ ही इस योजना से पता नहीं क्यों राजनांदगांव की जनता को वर्तमान परिस्थिति में लाभ कम नुकसान ज्यादा हो रहा है। जिसके लिए निगम के अमृत मिशन से जुड़े उच्च अधिकारी जिम्मेदार हैं।
किशुन यदु ने आरोप लगाया कि अमृत मिशन के कार्यों पर न तो सतत निगरानी हो रही है और न ही कार्य की गुणवत्ता पर ध्यान दिया जा रहा है। निगम के अधिकारियों को अपने चेंबर से निकलने की फुर्सत नहीं है। पूरे शहर को अमृत मिशन के लिए खोद दिया गया है और जहां नहीं खुदा है, यकीन मानिये अगले दो-चार दिन में वहां भी खुदाई कार्य हो जाएगा, लेकिन खुदाई करने के बाद महीनों तक न तो निगम वहां पाईप लाइन डलवा रही है और न ही खोदी गई सडक़ों पर नियमानुसार कांक्रीट या डामरीकरण कार्य किया जा रहा है। इससे साफ जाहिर होता है अमृत मिशन के कार्यों पर नगर निगम के अधिकारी सिर्फ गाढ़ी कमाई करने में जुटे हुए हैं।
श्री यदु ने कहा कि जहां कहीं थोड़ा बहुत रिपेयरिंग काम हुआ भी है, जनता उसकी क्वालिटी देख सकती हैं। एक सामान्य से ठेकेदार के लिए नियमों की लंबी फेहरिस्त है, लेकिन जो लगभग दो अरब रुपए का प्रोजेक्ट चल रहा है, उसके लिए निगम के पास शायद कोई नियमावली नहीं है। जिसकी वजह से स्थानीय ठेकेदार अपनी मनमानी पर उतारू हंै।