राजनांदगांव
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
अम्बिकापुर, 12 जनवरी। महामना मालवीय मिशन सरगुजा के तत्वावधान में स्वामी विवेकानंद जयंती का आयोजन युवा दिवस के रूप में मनाया गया। संस्था के सदस्यों ने घड़ी चौक स्थित स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया, फिर केशरवानी भवन में व्याख्यानमाला एवं कवि गोष्ठी का आयोजन कर उनके जीवनदर्शन पर प्रकाश डाला।
महामना मालवीय मिशन सरगुजा के अध्यक्ष आर.एन.अवस्थी ने कहा कि विवेकानंद जी का जीवनदर्शन युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत है। भारतीय सनातन पद्धति को विश्व के पटल पर रेखांकित करने का कार्य किसी ने किया तो उसका नाम स्वामी विवेकानंद है।
विशिष्ट अतिथि ब्रम्हाशंकर सिंह ने कहा कि युवा किसी भी राष्ट्र की वो सम्पत्ति होता है जो राष्ट्र को प्रवाहित करता है। आज युवाशक्ति को पहचानने की जरूरत है और उन्हें भारतीय सनातन परम्परा और संस्कृति को याद दिलाने की आवश्यकता है। पाश्चात्य सभ्यता और संस्कृति के तरफ जो लोगों का झुकाव बढ़ते जा रहा, उसे रोकने के लिए विवेकानंद जी के आदर्शों को पढऩा होगा और पढ़ाना होगा, तभी युवाशक्ति राष्ट्र निर्माण में अग्रसर होगी।
मदन मोहन मेहता ने कहा कि विवेकानंद जी का जीवनदर्शन आज भी समसामयिक और प्रसांगिक है। कार्यक्रम में गीता द्विवेदी, रंजीत सारथी, और राजलक्ष्मी पान्डेय ने काव्य के माध्यम से विवेकानंद जी के जीवनचरित्र को रेखांकित किया। इन तीनों की प्रस्तुति ने सबका मनमोह लिया । कार्यक्रम का संचालन संस्था के कोषाध्यक्ष राज नारायण द्विवेदी ने किया।
रामनारायण शर्मा ने विवेकानंद के आदर्शों को आत्मसात करने पर बल दिया। राज नारायण द्विवेदी ने कहा कि कर्तव्यपरायणता और कर्तव्यनिष्ठा का अनुपालन से व्यक्ति महानतम शिखर पर पहुंचा है । स्वामी विवेकानंद के जीवनदर्शन के मार्मिक कहानियों के संदर्भों के माध्यम से अनेक उदाहरण देकर युवाओं को पाश्चात्य संस्कृति से दूर रहने का सलाह दी। आभार प्रदर्शन पूर्व अध्यक्ष एम.एम.मेहता ने किया ।