राजनांदगांव
कलेक्टर ने दिए जांच के निर्देश
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 13 जनवरी। डोंगरगांव तहसील कार्यालय में पदस्थ एक नाजिर पर आर्थिक सहायता की राशि भुगतान करने के एवज में रिश्वत मांगने का आरोप लगाते हुए हितग्राहियों की पैरवी कर रहे अधिवक्ता नांदगांव कलेक्टर के कक्ष के बाहर धरने पर बैठ गए। मंगलवार को हुए इस घटनाक्रम से प्रशासनिक महकमे में हडक़ंप मच गई।
डोंगरगांव क्षेत्र के कुछ ग्रामीणों को राज्य सरकार से आर्थिक सहायता के लिए राशि की मंजूरी हुई थी। आरोप है कि राशि के एवज में नाजिर द्वारा हितग्राहियों से रुपए की मांग की गई। इसी बात से खफा होकर हितग्राहियों को लेकर वकील कलेक्टर चेम्बर के सामने बैठ गए। मामले की जानकारी होने के बाद कलेक्टर ने जांच के निर्देश दिए हैं।
मिली जानकारी के अनुसार पीडि़त पक्षकारों के साथ अधिवक्ता कलेक्टर चेम्बर के सामने डोंगरगांव तहसील कार्यालय में पदस्थ नाजिर के भ्रष्टाचारों से आहत अपने पक्षकारों के साथ धरने में बैठे रहे। बताया गया कि ग्राम टिया, कोलिहापुरी, बांकल, बुद्धुभरदा गांव के हितग्राही जिनके पिता, पति, पुत्र एवं परिजनों को विभिन्न दुर्घटनाओं में मौत हुई एवं घायल भी हुए हैं। आर्थिक सहायता राशि के लिए वकील के माध्यम से नियमानुसार पूरी प्रक्रिया के तहत तहसील कार्यालय में आवेदन किया गया।
बताया गया कि शासन से मृतकों के प्रकरण में 25 हजार एवं घायलों के केस में 10 हजार रुपए आर्थिक सहायता राशि शासन द्वारा आबंटित की गई है। आरोप है कि नाजिर द्वारा मृतकों के प्रकरण में 3 हजार एवं घायलों के केस में 2 हजार रिश्वत मांगी जा रही है। नाजिर द्वारा फाइल की जानकारी दी जाती है और अभद्र व्यवहार किया जाता है। जिसके चलते वकील सहित सभी पक्षकार कलेक्टर से इस मामले की शिकायत करने पहुंचे और धरने पर बैठ गए।