रायपुर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 13 जनवरी। केंद्र के कृषि बिल के विरोध में दिल्ली की सीमा पर किसानों के देशव्यापी आंदोलन के समर्थन और आंदोलन के दौरान हुई 60 किसानों की मौत के कारण राजधानी में इस बार कई गुरुद्वारों में जहां पारंपरिक पर्व लोहड़ी नहीं मनाई जा रही है। वहीं कुछ गुरुद्वारों में लोहड़ी सादगी पूर्वक मनाई जाएगी। गुरुद्वारा प्रबंधक का कहना है कि लोहड़ी किसानों का पर्व है और जब किसान विपरीत परिस्थितियों से जूझते हुए तकलीफ में है तब ऐसे में लोहड़ी का जश्न मनाना सही नहीं है।
पंडरी गुरुद्वारा गोविंदनगर प्रबधंक कमेटी के सदस्य के एस रखराज का कहना है कि लोहड़ी किसानों के हर्षोल्लास का पर्व है, लेकिन इन दिनों लाखों किसान अपनी जान पर खेल कर दिल्ली में भरी ठंड में अपने किसानों के अधिकार की लड़ाई लड़ रहे हैं और 60 किसानों ने इसकी खातिर अपना बलिदान दे दिया है, ऐसे में लोहड़ी का जश्न बेमानी है। किसानों के आंदोलन और उनके बलिदान के मद्देनजर इस बार गुरुद्वारे में लोहड़ी नहीं मनाई जा रही है।
स्टेशन रोड स्थित श्रीगुरुसिंग सभा गुरुद्वारे मीडिया प्रभारी गुरुमीत सिंह गुरुदत्ता ने बताया कि नए कृषि कानून के विरोध में दिल्ली में चल रहे आंदोलन और 60 किसानों की शहादत के कारण इस बार गुरुद्वारे में लोहड़ी सादगी पूर्वक मनाई जाएगी। हर वर्ष लोहड़ी में गुरुद्वारेे में धूमधाम से लोहड़ी मनाई जाती थी, लेकिन इस बार किसान आंदोलन में शहीद हुए किसानों की श्रद्धाजंलि स्वरुप लोहड़ी सादगी से मनाई जाएगी।