महासमुन्द
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुन्द, 16 जनवरी। सिकलसेल प्रबंधन कार्यक्रम के तहत प्वाइंट ऑफ केयर विशेष जांच तकनीक अपनाकर सिकल सेल रोगियों की पहचान की शुरुआत महासमुन्द से हो गई है। यह पायलट प्रोजेक्ट दुर्ग, सरगुजा, दंतेवाड़ा, कोरबा और महासमुन्द जिले में संचालित किया जाना है। इसकी शुरूआत महासमुन्द जिले में कर दी गई है। अब जांच के कुछ मिनटों में ही सिकलसेल रोगी या वाहक की जानकारी मिल सकेगी। डिजले के विशेषज्ञ इसे सिकलसेल प्रबंधन में बड़ी कामयाबी मान रहे हैं। पहले सिकल सेल की जांच के लिए मरीजों को कई प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ता था। जिला समन्वयक मितानिन कार्यक्रम महासमुन्द जागृति बरेठा ने बताया जिले में सिकलसेल के मरीजों की संख्या काफी थी। जिसे देखते हुए स्वास्थ्यमंत्री के निर्देशानुसार पायलट प्रोजेक्ट के तहत जिले के पांच ब्लॉक में नई विशेष किट से जांच की जा रही है।
गौरतलब है कि इससे पहले सिकलसेल की जांच के लिए खून के नमूने को सुरक्षित तरीके से प्रयोगशाला लाना पड़ता था। कई प्रक्रिया से गुजरने करने के बाद सिकलसेल मरीजों की पहचान होती थी। मगर अब मलेरिया जांच किट के समान ही प्वाइंट ऑफ केयर तकनीक पोर्टेबल किट उपलब्ध करवाया गया है।
यह किट आसानी से कहीं भी ले जाई जा सकती है। मलेरिया किट की तरह इससे जांच का नतीजा कुछ मिनट में आ जाएगा। रायपुर में स्थित सिकलसेल संस्थान में सिकलसेल से पीडि़त मरीजों का नि:शुल्क इलाज होता है। संस्थान का उद्देश्य सिकल सेल रोगियों की पहचान कर मरीज को नि:शुल्क इलाज के लिए नवीनतम तथा आधुनिक चिकित्सा सुविधा प्रदान करना है। सिकलसेल संस्थान में सिकल सेल रोगियों की सभी प्रकार की जांच एवं उपचार तथा दवाएं भी निशुल्क प्रदान की जाती हैं।