गरियाबंद

रुपये जमा कराए बिना ट्रांसफार्मर लगाने का आरोप
17-Jan-2021 4:23 PM
रुपये जमा कराए बिना ट्रांसफार्मर लगाने का आरोप

बिजली अफसर और पट्रोल पंप मालिक पर एफआईआर दर्ज

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
 मैनपुर, 17 जनवरी।
विद्युत विभाग ने अपने एक उपयंत्री और पट्रोल पंप संचालक के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है। गोहरापदर पट्रोल पंप संचालक और बिजली विभाग के उपयंत्री पर मिलीभगत कर बगैर रुपये जमा कराए ट्रांसफार्मर लगाने का आरोप है। विभाग ने दोनों के खिलाफ देवभोग थाना में एफआईआर दर्ज करायी है। 

बताया जा रहा है कि आरोपी उपयंत्री अनिल नामदेव के खिलाफ 7 अन्य मामलों में 18 लाख रुपये से ज्यादा के गबन की शिकायत दर्ज कराने की तैयारी विभाग कर रहा है।
थाना प्रभारी हर्ष वर्धन बैस ने बताया कि विभागीय शिकायत पर एफआईआर दर्ज कर लिया गया है। मामले से जुड़े तथ्य जुटाए जा रहे हैं। सबूत एकत्र कर अग्रिम कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने बताया कि गोहरापदर में खुले नए पेट्रोल पम्प तन्मय फ्यूल्स के संचालक जागेश्वर सिन्हा व अमलीपदर केंद्र के तत्कालीन कनिष्ठ यंत्री अनिल नामदेव के खिलाफ धारा 420 एवं विद्युत अधिनियम 138(1)के तहत एफआईआर दर्ज की गई है। महीनेभर पहले अनिल नामदेव का ट्रांसफर दूसरे जिले में हो गया है। सहायक अभियंता विनोद तिवारी ने मामले की शिकायत दर्ज करायी है।

बिजली कनेक्शन का कोई रिकार्ड नहीं
मामले का खुलासा तब हुआ, जब सहायक अभियंता विनोद तिवारी 5 जनवरी को पम्प का निरीक्षण करने गोहरापदर पहुंचे। विनोद तिवारी ने अपने शिकायत पत्र में कहा गया है कि ट्रांसफार्मर स्थापित करने 4 लाख 36 हजार 475 रूपये विभाग के हेड में जमा होना था। प्रक्रिया के तहत विधिवत निविदा जारी करने के बाद काम होता है, पर नामदेव ने बोर्ड में पैसे जमा कराए बगैर ही काम करा लिया।
पट्रोल पंप मालिक जागेश्वर सिन्हा रकम नामदेव को दिए जाने का दावा कर रहे ंहै। विभागीय मद में जमा नहीं कराने को लेकर वे संबंधित अधिकारी को जिम्मेदार ठहरा रहे हंै। साथ ही इसकी लिखित शिकायत थाने में करने की बात भी कह रहे है।

देवभोग वितरण केंद्र में 18 लाख गबन का मामला
अमलीपदर के बाद तत्कालीन उपयंत्री अनिल नामदेव जब देवभोग केंद्र में पदस्थ हुए तो यहां भी उनके कारनामे सामने आए। देवभोग, करचिया, खुटगांव समेत 5 गांवों में 7 ऐसे प्रकरण विभाग को मिले है, जिसमें नामदेव ने कागजी फाइलों को विधिवत पूरा किये बगैर ही कनेक्शन जारी कर दिया। उनके ऐसा करने से बिजली बोर्ड को 18 लाख से भी ज्यादा का चूना लगा। ट्रांसफार्मर, तार, खम्भे समेत अन्य जरूरी सामग्रियों को उपभोक्ताओं के घर लगा दिया। उनसे पूरे पैसे भी लिए पर उसे विभागीय हेड में जमा नहीं कराया।
इन मामलों में जांच के बाद देवभोग सहायक अभियंता सचिन भगत को ईई ने एफआईआर दर्ज कराने निर्देश दिए थे। पर शिकायत के साथ अन्य जरूरी तथ्यों के अभाव में मामला दर्ज नहीं हो सका है। सचिन भगत ने कहा कि आवश्यक दस्तावेज संलग्न कर जल्द ही इन मामलों में भी एफआईआर दर्ज कराई जाएगी।
 

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