दुर्ग
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
कुम्हारी, 19 जनवरी। ऋतंभरा साहित्य समिति के वार्षिकोत्सव का आयोजन। रविवार को कुर्मी भवन कुम्हारी में सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि मन्नू लाल परगनिहा समाजसेवी, विशेष अतिथि साहित्यकार जितेन्द्र कुशवाहा मुख्य नगर पालिका अधिकारी कुम्हारी, विशिष्ट अतिथि निश्चय वाजपेयी साहित्यकार व समाजसेवी थे। ऋतंभरा साहित्य समिति के अध्यक्ष नारायण वर्मा ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की।
मुख्य अतिथि मन्नू लाल परगनिहा ने इस अवसर पर कहा लेखक कलम की ताकत से दुनिया बदल सकता है। मैं अंचल की 35 वर्ष पुरानी संस्था ऋतंभरा साहित्य समिति के कलमवीरों को नमन करता हूं। आपके हाथों में देश का भविष्य है।
विशिष्ट अतिथि जितेन्द्र कुशवाहा ने ग्लोबलाइजेशन के खतरे से आगाह करते हुए कहा कि 5000 किमी दूर से आए छोटे से वायरस ने हमारे परिवेश को तहस-नहस कर दिया है. आज हमें संगठित होने की आवश्यकता है. उन्होंने कविताई माहौल बनाते हुए कहा डाल से टूटे तो बिखर जाएंगे। फिर ये पत्ते न जाने किधर जाएंगे।
अध्यक्ष नारायण वर्मा ने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा संस्था द्वारा दिया जाने वाला प्रतिष्ठित ऋतंभरा सम्मान इस बार आशीष यादव, थाना प्रभारी कुम्हारी को दिया जा रहा है। कोरोना काल में उदात्त मानवीय सेवा और सोशल पुलिसिंग में उल्लेखनीय योगदान के लिए संस्था द्वारा उन्हें शाल, श्रीफल, प्रतीक चिह्न के साथ ऋतंभरा सम्मान प्रदान किया जा रहा है।
संस्था का प्रतिवेदन सचिव सुरेश वाहने द्वारा पढ़ा गया। उन्होंने कहा संस्था की नियमित गोष्ठियों और आयोजनों से ऋतंभरा साहित्य समिति की पहचान बनी है। इसमें संस्था के सभी पदाधिकारियों और सदस्यों का सतत् और जीवंत योगदान रहा है। संस्था के द्वार सभी सृजनरत रचनाकारों के लिए खुले हुए हैं।
इसके पश्चात कवयित्री मधु तिवारी की तीन कृतियों कोशिश, आईना और आपातकालीन सृजन फुलवारी का विमोचन अतिथियों के करकमलों से हुआ। उनकी कृतियों पर समीक्षात्मक टिप्पणी साहित्यकार एवं पत्रकार विक्रम शाह ठाकुर ने दी ।
उन्होंने कहा कि मधु तिवारी की रचनाएं कीसी सीमाओं में बंधी नहीं है। उन्होंने समाज में फैले विद्रुपताओं से लेकर मानवीय संबंधों के तमाम पहलुओं पर भी अपनी कदम चलाई है। इसके साथ ही ईश्वर के प्रति अपनी आस्था को भी अपनी कविताओं में बखूबी प्रस्तुत किया है।
पश्चात अतिथियों द्वारा वरिष्ठ लोक कलाकार व साहित्यकार हेमलाल साहू निर्मोही की सद्य: प्रकाशित कृति कोदो के जर छत्तीसगढ़ी कहानी संग्रह भी विमोचित की गई। उनकी कृति पर रवीन्द्र कुमार थापा ने समीक्षात्मक रिपोर्ट प्रस्तुत की। इस अवसर पर कृति के संपादक रामेश्वर शर्मा विशेष रूप से उपस्थित थे. कवि बिसरूराम कुर्रे की तीन कृतियों पर समीक्षा आलेख सुरेश वाहने द्वारा पढ़ा गया।
संस्था द्वारा संस्था के ऊर्जावान रचनाकारों मधु तिवारी, हेमलाल साहू निर्मोही, बिसरूराम कुर्रे, कामता प्रसाद दिवाकर को स्मृति चिह्न, प्रशस्ति पत्र, शाल व श्रीफल देकर सम्मानित किया गया। संस्था की ओर से अध्यक्ष नारायण वर्मा व पदाधिकारियों ने आमंत्रित अतिथियों को शाल, श्रीफल व स्मृति चिह्न भेंट कर आत्मीय सम्मान किया।
इस अवसर पर आमंत्रित कवियों व कवयित्रियों ने कविता पाठ भी किया जिसमें मुख्य रूप से सूर्य प्रकाश कुशवाहा, मधु तिवारी, जागृति मिश्रा, सुनिता परगनिहा, मीना वर्मा, शशिकिरण वर्मा, कामिनी निर्मलकर, मीना देशमुख, नीलम जायसवाल, शुचि भवि, मोतीलाल श्रीवास्तव, लखन लाल साहू, रज्जाक अहमद, रघुनाथ देशमुख, जगन्नाथ निषाद, नंदलाल यादव, जागृति मिश्रा, यशवंत यश सूर्यवंशी, सुनीता परगनिहा, रामाधार शर्मा, डॉ. नौशाद अहमद सिद्दीकी, ओमवीर करण, हरेन्द्र राठौर, गजेन्द्र द्विवेदी, रवींद्र कुमार थापा, जितेन्द्र पटेल, रामदेव शर्मा, नरेश विश्वकर्मा आदि ने किया। अंत मे संस्था की ओर से प्रतिभागी कवियों व कवयित्रियों को स्मृति चिह्न प्रदान किया गया।
कार्यक्रम को सफल बनाने में आर. डी. राव, बिसरूराम कुर्रे, सूर्य प्रकाश सिंह कुशवाहा, मुरारीलाल साव, बीएल यदु, रामेश्वर शर्मा, मिनेश साहू, प्रियर्शन देव, प्रेमकुमार सोनके, रघुनाथ देशमुख, महेंद्र अग्रवाल, गंगा मढ़रिया, नोहरदास मानिकपुरी, जीएस ठाकुर, सुजीत यादव, गनपत राव, अमृतलाल शर्मा, चुड़ामणी साहू आदि की गरिमामयी उपस्थिति रही।
कार्यक्रम का संचालन सुरेश वाहने और नरेश विश्वकर्मा ने किया। एव आभार प्रदर्शन विक्रम शाह ठाकुर ने किया. कार्यक्रम में बड़ी संख्या में बुद्धिजीवी, साहित्यकार एवं जनप्रतिनिधि उपस्थित थे।