कोरिया

फर्जी वारिस के जरिए प्रेमाबाग जमीन घोटाला, एमपी से बंदी
24-Jan-2021 5:19 PM
फर्जी वारिस के जरिए प्रेमाबाग जमीन घोटाला, एमपी से बंदी

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बैकुंठपुर, 24 जनवरी।
जिला मुख्यालय बैकुंठपुर का चर्चित प्रेमाबाग भूमि मामले में पुलिस ने बिल्डर की पत्नी के भाई डॉक्टर को रीवा मध्यप्रदेश से गिरफ्तार कर रिमांड पर जेल भेज दिया है, बिल्डर के दो सहयोगी  चिरमिरी के चंदन शर्मा और आकाश बघेल को भी जेल भेजा गया है। घटना में शामिल अन्य आरोपी फरार बताए जा रहे हंै। डॉक्टर के खिलाफ बिल्डर के साथ षडय़ंत्र में शामिल होने तथा बिल्डर के अपराध करने के दौरान अपने अस्पताल में भर्ती होने का फर्जी मेडिकल दस्तावेज बनाकर आपराधिक गतिविधियों में सहयोग का आरोप है।  
इस संबंध में प्रार्थी विष्णु सिंह की माने तो बिल्डर ने संभागायुक्त, राजस्व मंडल और उच्च न्यायालय में अपने को रीवा मे 29 अप्रैल से 3 मई तक एडमिट होना बताया है साथ ही 1 मई को तहसीलदार बैकुण्ठपुर में भी उपस्थित होना बताया है तो ऐसे में एक ही दिन एक व्यक्ति दो स्थानों पर कैसे रह सकता है।

वहीं उप पुलिस अधीक्षक धीरेन्द्र पटेल का कहना है कि प्रेमाबाग विष्णु सिंह के मामले में बिल्डर संजय अग्रवाल की पत्नी के बाई डॉ.दीपक अग्रवाल को हिरासत में लेकर रिमांड पर लिया गया है, मामले में और कार्रवाई जारी है।
शनिवार की देर रात पुलिस रीवा के बड़े चिकित्सक डॉ. दीपक अग्रवाल को लेकर सिटी कोतवाली पहुंची, सुबह से पुलिस की एक टीम मामले में कोर्ट में हाजिर करने की औपचारिकता पूरी करती रही, रविवार होने के कारण 3 बजे डॉक्टर को कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उन्हें रिमांड पर भेज दिया गया। उनके साथ 29 अप्रैल 2017 के दिन फोटोग्राफ से बिल्डर के दो सहयोगी चिरमिरी चंदन शर्मा और आकाश बघेल की पहचान कर उन्हें भी जेल भेजा गया है।

इस मामले में मास्टर माइंड तक पुलिस अभी तक नहीं पहुंच पाई है। करोड़पति मास्टर माइंड के कारण आदिवासी की भूमि का नया वारिस सामने आया था और भूमि के कागजात फर्जी बनाए गए, वहीं अब तक उक्त भूमि 8 लोगों को बेची जा चुकी है, बकायदा उनके नाम नामांतरण भी पूरा हो चुका है। चूंकि, सेवानिवृत अपर कलेक्टर एडमंड लकड़ा की गिरफ्तारी को लेकर राजस्व अधिकारी विरोध कर रहे हंै, ऐसे में पुलिस का कहना है कुछ दस्तावेज जिस कार्यालय में अपर कलेक्टर पदस्थ थे, वहां से मांगे गए है जो अब तक उन्हें नहीं मिल पाए है। 
कलेक्टर कार्यालय के सूत्रों की माने तो बीते एक माह से पुलिस जिस दस्तावेज को मांग रही है, उसे राजस्व अधिकारी देने से कतरा रहे हैं। यही कारण है कि अधिकारी और कर्मचारियों पर पुलिस कार्यवाही नहीं कर पा रही है, जबकि आम नागरिक को तुरंत गिरफ्तार कर रही है।

क्या है मामला
प्रार्थी विष्णु सिंह द्वारा बीते 2 साल से आरोपी डॉक्टर सहित सभी आरोपियों की मांग की जा रही थी। 
कोरिया जिला मुख्यालय बैकुंठपुर स्थित प्रेमाबाग स्थित जमीन पाकिस्तान चले गए एक व्यक्ति की थी, जिसका कोई वारिस नहीं था, परन्तु अचानक राज्स्व अमले के साथ मिलकर प्रतापपुर के एक व्यक्ति को वारिस बनाया, मामले में अब तक फर्जी वारिस सहित 5 लोग और जेल में रिमांड पर निरूद्ध है। सूत्रों की मानें तो इस मामले में आधा दर्जन से ज्यादा सरकारी अमले पर भी कार्रवाई होने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता। चार वर्ष बाद पुलिस अधीक्षक चंद्रमोहन सिंह के निर्देश पर उप पुलिस अधीक्षक धीरेन्द्र पटेल ने सूक्ष्म जांच शुरू की, तब मामले में खुलासा होने लगा। जिसके कारण रीवा के डॉ दीपक अग्रवाल को पुलिस ने अपने कब्जे में लेकर रिमांड पर जेल भेज दिया है।

एक साथ दो स्थानों पर था उपस्थित
प्रार्थी विष्णु सिंह का कहना है कि बिल्डर ने उनकी भूमि पर बने एक मकान को  29 अप्रेल 2017 की रात को  उनका मकान ध्वस्त कर दिया, 30 अप्रैल को घेर कर रखा, और 29 अप्रैल 2017 को ही 1 बजे दोपहर रीवा स्थित डॉ दीपक अग्रावल के अस्पताल में एडमिड हो गया। जिसकी जानकारी उनके द्वारा निकाली गई, बिल्डर 29 अप्रैल 2017 को 1 बजे से 3 मई 2017 तक वहां एडमिट होना बता रहा है। जबकि 29 अप्रेल 2017 को तत्कालिन तहसीलदार सुमनराज ने मेरे आवेदन पर स्टे दे दिया, उस वक़्त बिल्डर उपस्थित था, उसी दिन 1 बजे कैसे कुछ घंटे में ही कैसे रीवा पहुंचकर एडमिट हो गया।। वहीं 1 मई 2017 को तहसीलदार न्यायालय में हुई सुनवाई के दौरान मैं और बिल्डर संजय अग्रवाल, अधिवक्ता तीनों तहसीलदार सुमन राज के कोर्ट में उपस्थित थे। जबकि 1 मई 2017 को रीवा में बिल्डर का इलाज जारी था।
एफआईआर निरस्त करने हाईकोर्ट में याचिका

जानकारी के अनुसार 29 अप्रेल 2017 को प्रेमाबाग स्थित भूमि पर जमकर हंगामे की जानकारी विष्णु सिंह की पत्नी ने सिटी कोतवाली में दी और 1 मई 2017 को मामला दर्ज हो गया, इधर, बिल्डर ने उसी दिन अपने स्वास्थ्य खराब होने को लेकर रीवा में एडमिट रहने की बात बता कर एफआईआर को निरस्त करने हाई कोर्ट में याचिका लगा रखी है।

डकैती सहित बलवा का है आरोप
प्रार्थी विष्णु सिंह बताते है वर्ष 2017 मई 29 की रात, इस दिन सुबह से प्रेमाबाग स्थित भूमि पर जेसीबी की धमक के साथ उनका मकान ध्वस्त हुआ, उनकी पत्नी ने अपना मकान ध्वस्त होते देखा और विरोध किया, जिसके बाद पुलिस में मामला दर्ज करवाया, जिसमे कई गैर जमानती धाराओं में मामला पंजीबद्ध किया गया परंतु कार्यवाही के लिए तत्कालीन प्रशासन आगे नही है, उनकी भूमि का मामला बिल्डर ने राजस्व न्यायालय से सीधे संभागायुक्त में पहुचाया और वहां से राजस्व मंडल। परंतु मेरी बात कोई सुनने को तैयार नहीं था।

 

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