बालोद

सागौन की अवैध कटाई, लकड़ी माफिया सक्रिय
08-Feb-2021 5:47 PM
सागौन की अवैध कटाई, लकड़ी माफिया सक्रिय

शिव जायसवाल

बालोद, 8 फरवरी (‘छत्तीसगढ़’) । ग्राम पिपरखार के गरीब आदिवासी अर्जुन सिंह गोड़ अपने खेत के मेड़ पर लगे सागौन पेड़ को कटवा कर वन विभाग से पैसा जुटाना चाहता है। ताकि अपनी बेटी का विवाह कर सके। कलेक्टर को अनुमति के लिए आवेदन दिया तो विभाग के लोग जांच करने आए और स्थल निरीक्षण कर चले गए। लेकिन अर्जुन सिंह को आज तक पेड़ कटवाने की अनुमति नहीं मिली। अपनी बेटी के विवाह के लिए फिक्रमंद गरीब किसान सालों सरकारी दफ्तरों का चक्कर लगा रहा और उधर जिले के वन माफिया राजश्व भूमि में आए दिन सागौन की अवैध कटाई कर रहे है। काटे गए सागौन पेड़ों के ठूंठ इसकी हकीकत बयां रहे हैं। 

डौंडीलोहारा वन परिक्षेत्र के तहत आने वाले कई इलाकों में इन दिनों सागौन के पेड़ों की अवैध कटाई की जा रही है। इससे सागौन के पेड़ समाप्त होते जा रहे हैं। 
जानकारी के मुताबिक गैंजी व लोहारटोला बीट के पीपरखार, भिंदो, डूटामारदी, डालाकसा और झरनटोला में कई पेड़ काटे जा चुके हैं, वहीं कई पेड़ ऐसे खड़े हैं, जिन्हें आधा काटा जा चुका है।

दूसरे खेत का काटा सागौन तो आया मामला सामने 
क्षेत्र की राजश्व भूमि में खड़े हरे भरे सागौन पेड़ों की अवैध कटाई का मामला तब उजागर हुआ, जब लकड़ी ठेकेदार ने बिना कोई लेन-देन के दूसरे खेत पर खड़े सागौन पेड़ की कटाई कर दी। दूसरे के खेत पर खड़े सागौन पेड़ कटाई का मामला उछला तो गांव में बैठक हुई। बैठक कर ठेकेदार से 10 हजार रुपए का दंड लिया गया।

रात के अंधेरे में परिवहन
लकड़ी माफिया के लोग सागौन की कटाई करते हैं और जैसे ही रात होती है तो वाहनों पर लकड़ी आरा मशीनों में भिजवा देते हैं। इस तरह आए दिन लाखों रुपए की बेसकीमती सागौन लकड़ी काटकर बाहर भेजी जा रही है। लोगों का कहना है कि एक ओर शासन द्वारा सागौन की सुरक्षा के लिए सख्त कायदे कानून बनाया गया है, लेकिन राजस्व और वन विभाग के कर्मचारी व अधिकारी निगरानी नहीं कर रहे हैं। लोगों का कहना है कि यह समय रहते इस दिशा में कदम नहीं उठाया गया तो हरे भरे सागौन के कीमती पेड़ साफ होते जाएंगे।

बिना अनुमति नहीं काटा जा सकता पेड़
यदि किसी व्यक्ति की भूमि पर ऐसे पेड़ हैं जिनको बिना अनुमति के काटा नहीं जा सकता है और वह किन्हीं कारणों के चलते उन्हें काटना चाहता है तो उसे इसके लिए राजस्व विभाग से अनुमति लेनी पड़ती है। आवेदक को जिन पेड़ों को काटना है उनकी संख्या, रकबा, पेड़ की प्रजाती, लंबाई, चौड़ाई आदि जानकारी देनी होती है।

उन क्षेत्रों में थोड़ा कम जा पाता हूं। हालांकि पटवारी और आरआई जाते हैं। उनसे पूछ लेता हूं। सागौन पेड़ की कटाई हो रही है तो मैं तत्काल आरआई और पटवारी को एक्टिव करता हूं। कटता हुवा पाया जाएगा तो पंचनामा होगा। पेड़ जब्त की कार्रवाई करेंगे। केस चलेगा और एसडीएम के माध्यम से कलेक्टर को भेजेंगे। भुरकाभाट में कहुआ कटने की जानकारी आई तो तुरंत पटवारी को भेजकर पकड़ लिया गया। 
-राम रतन दुबे, तहसीलदार डौंडीलोहारा
 

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