कवर्धा

जल संरक्षण की दिशा में मिल का पत्थर बना नरवा अभियान ग्रामीणों को मिला रोजगार और सिंचाई के लिए पानी
16-Feb-2021 5:21 PM
जल संरक्षण की दिशा में मिल का पत्थर बना नरवा अभियान ग्रामीणों को मिला रोजगार और  सिंचाई के लिए पानी

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

कवर्धा, 16 फरवरी।  जल संरक्षण कि दिशा में शासन की महत्वकांक्षी नरवा अभियान का सकारात्मक परिणाम जिले के ग्रामीणों को मिलता दिख रहा है। जल ही जीवन है, के अवधारणा अनुरूप नाले के पानी को सहेजना और अपने आवशकताओ की पूर्ति के लिए उपयोगी बनाने का महत्वपूर्ण कार्य महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के सहायता से हो रहा है।

कबीरधाम जिले के वनांचल क्षेत्र विकासखण्ड बोड़ला के ग्राम लब्दा, जोकपानी, पुतकी एवं बोदा तीन जैसे ग्रामों में बहने वाला टमडू नाला फरवरी माह के मध्य में भी बहता हुआ देखा जा सकता है। 7.23 किमी लंबे इस नाले को नरवा अभियान के तहत सहेजने का काम महात्मा गांधी नरेगा योजना के साथ किया गया है। 5.03 किमी राजस्व क्षेत्र एवं 2.2 किमी वन क्षेत्र में बहने वाले इस नाले से क्षेत्र कि बड़ी आबादी सीधे लाभान्वित हो रहीं है। खेती किसानी के लिए पानी कि आवश्यकता ग्रामीणों की पुरानी मांग रहीं है यही कारण है कि वनांचल गांव लब्दा, जोकपानी, पुतकी, एवं बोदा में बहने वाला टमडू नाले का जीर्णोद्धार कर साल के अतिरिक्त तीन महीने पानी की उपलब्धता बढ़ाया गया है।

महात्मा गांधी नरेगा योजना से टमडू नाला में हुए कार्य का विवरण

लूज बोल्डर चेकडेम, गेबियन संरचना, निजी डबरी, वृक्षारोपण सहित कुल 18 कार्य के लिए 36 लाख 48 हजार रूपए स्वीकृत किया गया। इस कार्य में अब-तक 5 लाख 40 हजार रूपये खर्च करते हुए 5 लाख 32 हजार रूपये का मजदूरी भुगतान नरवा काम मे लगे ग्रामीणों को मिला। 2800 मानव दिवस रोजगार का अवसर  लब्दा, जोकपानी, पुतकी, एवं बोदा के ग्रामीणों को मिला है। मनरेगा से हुए जीर्णोद्धार कार्य से टमडू नाला में पानी बहुतायत से उपलब्ध है जो ग्रामीणों के लिए सिंचाई का साधन बना हुआ है।

पानी के परंपरागत श्रोत का सुधार हम ग्रामीणों के लिए बहुत उपयोगी:सरपंच ग्राम पंचायत लब्दा

ग्राम पंचायत लब्दा  के सरपंच श्री मदन धुर्वे 35 वर्ष ने टमडू नाला के बारे मे बताया कि गेबियन सरंचना एवं अन्य माध्यमों से पानी रोकने का काम मनरेगा योजना के द्वारा किया गया। बिहड़ ग्रामीण अंचल होने के कारण गांव की खेती किसानी परम्परागत जल स्त्रोतों पर ही निर्भर है। यहीं कारण है कि टमडू नाला नरवा अभियान से जुडक़र हमारे लिए बहुत उपयोगी बन गया है। उन्होंने बताया कि टमडू नाला शभुपिपर से हमारे गांव तक आता है जो पचराही के रास्ते बैजलपुर के समीप हाफ नदीं में मिल जाता है। इसका बहाव क्षेत्र हमारे गांव में लगभग 4 किमी है और सीधे तौर पर गांव की बड़ी आबादी इससे जुड़ी हुई है। नरवा अभियान का ही असर है कि फरवरी माह के मध्यम मे भी टमडू नाले का पानी ग्रामीणों को भरपुर मात्रा में मिल रहा है।

जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी विजय दयाराम के. ने बताया कि टमडू नाले के जीर्णोद्धार से भू-जल स्तर में 6 प्रतिशत कि वृद्धि हुई है। नरवा उपचार के पूर्व सिंचित क्षेत्र जहां 257.21 हेक्टेयर था वह बढक़र अब 312.48 हेक्टेयर हो गया है। इस तरह 55.27 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई का साधन सीधे तौर पर बढ़ा है।

जिसके कारण खरीफ एवं रबी फसलो में वृद्धि होना निश्चित है। उन्होंने बताया कि शासन के महत्वकांक्षी योजना नरवा अभियान के तहत पानी कि उपलब्धता बढ़ाने के लिए बोड़ला क्षेत्र के 6 अलग-अलग नालों में बहुत से कार्य कराये गये है जिसमें से टमडू नाला एक है। वनांचल क्षेत्र के ग्रामीणों को रोजगार कि उपलब्धता के साथ साल के तीन अतिरिक्त महीने पानी उपलब्ध कराना ही लक्ष्य रहा है तथा वर्तमान में टमडू नाले में पानी अप्रेल माह तक उपलब्ध होना संभावित है। जिसकी सहायता से गेहू, चना एवं अन्य रबी की फसल कृषकों द्वारा आसानी से लिया जा रहा है। मजदूरी मूलक कार्यो में खर्च करते हुए सिर्फ 5 लाख 40 हजार रुपये में नाला उपयोगी बन गया है।

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