कोण्डागांव
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
कोण्डागांव, 19 फरवरी। जिला कार्यालय के सभाकक्ष में ट्रांसजेंडर समुदाय के अधिकारों व संरक्षण तथा छत्तीसगढ़ शासन द्वारा इस संबंध में किये गये कार्यों एवं जागरूकता विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन 19 फरवरी को किया गया था।
कार्यशाला की अध्यक्षता करते हुए जिला पंचायत सीईओ डीएन कश्यप ने कहा कि, उच्चतम न्यायालय के महत्वपूर्ण निर्णय द्वारा ट्रांसजेन्डर समुदाय की दयनीय स्थिति को सुधारने, समाज में उचित स्थान दिलाने एवं शासकीय योजनाओं का लाभ पहुंचाने के लिए जो महत्वपूर्ण निर्देश जारी किए गए हैं। इस संबंध में जिला प्रशासन द्वारा हर संभव कार्रवाही की जाएगी और अन्य विभागों को भी अवगत कराया जाएगा। चंूकि वर्तमान में तृतीय लिंग समुदायों का आर्थिक सशक्तिकरण होना जरूरी है। इसमें शासकीय प्रयासों के अलावा समाज के हर वर्गों को पहल करनी होगी। क्योंकि प्राय: देखा गया है कि, किसी भी वर्ग का आर्थिक पिछड़ापन उसकी मूल समस्या होती है। अत: तृतीय लिंग समुदायों के व्यक्तियों को शासकीय योजनाओं से लाभांवित करने के अलावा स्वरोजगार हेतु विभिन्न व्यवसायों में प्रशिक्षित करने से इस लक्ष्य की प्राप्ति हो सकती है। इसके लिए शासकीय व अशासकीय संस्थाओं को मानवीय दृष्टिकोण अपनाना होगा।
ट्रांसजेन्डर समुदाय के प्रतिनिधियों ने कहा कि, राज्य शासन के प्रयासों से राजधानी रायपुर में ट्रांसजेन्डर समुदाय के लिय पुनर्वास व अल्पावास गृह का निर्माण किया गया है और ऐसा प्रत्येक जिलों में होना चाहिए। चंूकि ट्रांसजेन्डर समुदाय को वर्षों से समाज के मुख्य धारा से अलग समझा गया है। इसके फलस्वरूप इस समुदाय में अशिक्षा एवं बेरोजगारी जैसी समस्याए व्याप्त है। अत: शासकीय जनहितकारी योजनाओं में भी इन्हें प्राथमिकता मिलनी चाहिए। इसके साथ ही कार्यशाला में ट्रांसजेन्डर समुदाय के लिए सार्वजनिक स्थानों में अलग प्रसाधन गृह, नगरीय क्षेत्रों में सांस्कृतिक भवन, दुकानों के आबंटन में भी अलग स्थान आरक्षित करने जैसे विषयों पर भी विस्तार पूर्वक चर्चा हुई।
कार्यशाला में सहायक आयुक्त आरएस भोई, जिला शिक्षा अधिकारी राजेश शुक्ला, सहायक संचालक समाज कल्याण विभाग ललिता लकड़ा, जिला कार्यक्रम अधिकारी वरूण नागेश, ट्रांसजेन्डर‘ समूदाय के प्रतिनिधि विद्या राजपुत, रवीना, रजनी यादव, संतोषी, बिजली, सामाजिक कार्यकर्ता योगेश खापर्डे, हरेन्द्र यादव उपस्थित थे।