राजनांदगांव

तबादला कर सरकार भूली मानपुर एएसपी-एसडीओपी की नई पोस्टिंग
20-Feb-2021 12:11 PM
तबादला कर सरकार भूली मानपुर एएसपी-एसडीओपी की नई पोस्टिंग

    नक्सल खौफ के बीच अफसरों की कमी    
 

प्रदीप मेश्राम
राजनांदगांव, 20 फरवरी (‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता)।
राजनांदगांव जिले के दक्षिण इलाके मानपुर पुलिस डिवीजन में शीर्ष पदों पर सालों से नई नियुक्ति होने से पुलिस के नक्सल अभियान पर प्रतिकूल असर पड़ा है। नतीजतन नक्सल अभियान पर पुलिस की सटीक रणनीति बेअसर साबित हो रही है। नक्सल खौफ के भारी पडऩे से पुलिस रक्षात्मक रूख में नजर आ रही है। करीब दो साल से अधिक समय से मानपुर एएसपी पद खाली पड़ा हुआ है। वहीं 4 माह से एसडीओपी पद पर भी नई नियुक्ति  नहीं हुई है। दोनों ही शीर्ष पद के खाली होने से नक्सल  अभियान में फोर्स पर दबाव बढ़ा है। 

बताया जा रहा है कि 2018 के आखिरी में विधानसभा चुनाव के फौरन बाद तारकेश्वर पटेल को मानपुर एएसपी पद से रायपुर स्थानांतरित कर दिया गया, तबसे इस पद पर नई नियुक्ति नहीं हुई है। यही हाल एसडीओपी को लेकर भी है। पुलिस अनुभाग होने के कारण एसडीओपी की गैर मौजूदगी से जवानों पर दोहरा भार पड़ा है। पूर्व में नियमित एसडीओपी के रूप में संदीप मित्तल की तैनाती हुई थी। उनकी सहायता के लिए आरआई कैडर से पदोन्नत हुए रमेश येरेवार को भी पदस्थ किया गया। थोड़े दिनों बाद संदीप मित्तल का भी अन्यत्र तबादला हो गया। इसके बाद नक्सल आपरेशन डीएसपी रहे रमेश येरेवार ने करीब 4 साल के लंबे कार्यकाल में मुस्तैदी से कार्य किया। करीब 3 माह पहले राज्य सरकार ने उन्हें मुख्यमंत्री की सुरक्षा में तैनात कर दिया। उनके तबादले के बाद से मानपुर एसडीओपी पद पर नई नियुक्ति नहीं हुई है। अंबागढ़ पुलिस अनुविभागीय अधिकारी घनश्याम कामड़े को मानपुर एसडीओपी का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है। 

बताया जा रहा है कि नक्सलियों से निपटने के लिए पूर्ववर्ती भाजपा सरकार ने मानपुर में शीर्ष अफसरों की तैनाती की थी। जिसका पुलिस को काफी हद तक फायदा भी हुआ। दोनों पद रिक्त होने के बाद महकमा दबाव का सामना कर रहा है। जनवरी और फरवरी के महीने में मानपुर अनुभाग में 4 ग्रामीणों को नक्सलियों ने अलग-अलग इलाकों में मौत की सजा दी है। 

बताया जा रहा है कि महकमे के आला अधिकारियों ने राज्य सरकार को नए अफसरों की पोस्टिंग के लिए कई बार पत्र व्यवहार भी किया है। गौरतलब है कि मानपुर अनुभाग में करीब आधा दर्जन धूर नक्सल प्रभावित थाने है। जिसमें नक्सलियों की मौजूदगी बनी हुई है। खासतौर पर मदनवाड़ा, मानपुर, सीतागांव, औंधी, कोहका और मोहला थाना के अलावा बेस कैम्पों की सीमा पर भी नक्सलियों की आमदरफ्त रहती है। सिलसिलेवार हत्या की वारदात होने के बावजूद अफसरों की तैनाती पर सरकार और महकमा गंभीर नहीं दिख रहा है। 

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