बालोद
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बालोद, 20 फरवरी। दिव्यांग दम्पत्ति कलेक्टर से मदद की गुहार लगाने पहुंचे लेकिन मुलाकात नहीं होने पर निराश लौटे।
बालोद जिले के अण्डी गांव की दम्पत्ति में बुजुर्ग पत्नी पार्वती बाई पटेल का कान सुनाई नहीं देता, तो पति नंदलाल पटेल का एक पैर नहीं है। दम्पत्ति ने बताया कि समाज कल्याण विभाग की ओर से इलेक्ट्रॉनिक ट्राइसाइकिल भी दिया लेकिन वह भी दो माह में खराब हो गया तब फिर से उसका सहारा बना लकड़ी का बैसाखी।
बच्चे दोनों बुजुर्गों को घर में छोडक़र चले गए इसीलिए पेंशन के जरिए उनका गुजरा होता है, लेकिन पंचायत के जनप्रतिनिधि उन्हें हर माह हस्ताक्षर करा कर ले जाते हैं और पैसा 3 माह में एक बार मिलता है। गरीबी रेखा वाला राशनकार्ड बना है जिससे जो राशन मिलता है उसे खाकर व 3 माह में एक बार कुछ रुपये पेंशन के रूप में मिल जाते हैं उससे ही गुजरा करते हैं।
उन्हें पढऩा लिखना नहीं आता और किसी ने आवेदन की प्रक्रिया अब तक नहीं बताई इसीलिए योजना का लाभ नहीं मिला।
कई बार गांव के सरपंच सहित अन्य लोगों से मुलाकात की लेकिन किसी ने बात नहीं सुनी तो अपने गांव से ब्लॉक मुख्यालय डौंडी लोहारा तक पैदल फिर बस के सहारे कलेक्टर के पास गुहार लगाने उनके दफ्तर पहुंच गए। ताकि कलेक्टर को आवास व ट्रायसाइकिल की मांग कर सके। लेकिन कलेक्टर भी दफ्तर में नहीं थे । किसी ने बताया कलेक्टर साहब दौरे पर हैं सोमवार को आइए और फिर वह निराश होकर वापस 2 किलोमीटर तक पैदल बस स्टैंड पहुंचे।