बलौदा बाजार

छुईहा जलाशय को मछली पालन के लिए लीज पर देने का विरोध
20-Feb-2021 5:41 PM
छुईहा जलाशय को मछली पालन के लिए लीज पर देने का विरोध

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बलौदाबाजार, 20 फरवरी।
बलौदा बाजार नगरवासियों के लिए ग्रीष्मकाल में जीवनदायी साबित होने वाले छुईहा जलाशय को मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत बलौदा बाजार द्वारा दस वर्षों के लिए मछली पालन के लिए लीज पर दिए जाने की सूचना जारी की गई है। जिसको लेकर ग्रामीणों व नगर के लोगों में आक्रोश व्याप्त है। नगर के भू-जल स्तर के लिए सर्वाधिक महत्वपूर्ण छुईहा जलाशय को लीज पर देने का नगरवासियों ने कड़ा विरोध किया है।

विदित हो ब्रिटिशकालीन छुईहा जलाशय नगर समेत आसपास के ग्रामीण इलाकों के भूजल स्तर को बचाए रखने के लिए सर्वाधिक महत्वपूर्ण है। जलाशय से ग्रीष्मकाल में नहरों के माध्यम से बलौदा बाजार के सभी तालाबों में पानी भरने का कार्य किया जाता है, जिससे पूरे शहर का भू-जल स्तर पर्याप्त मात्रा में बना रहता है। इसके अलावा आसपास के ग्रामों में भी पेयजल का संकट उत्पन्न नहीं होता है। पूर्व के वर्षों में मछली पालन करने वाले व्यक्तियों द्वारा मछली पकडऩे के लिए जलाशय का गेट खोलकर पानी बहा दिया जाता रहा है। जिसके चलते जलाशय असमय सूख जाता है तथा मई माह में गंगरेल नहर प्रारंभ होने के बाद बीबीसी शाखा नहर के माध्यम से पानी भरने के बाद ही नगर के तालाबों को भर पाना संभव हो पाता है, जिसकी वजह से नगरवासियों तथा क्षेत्रवासियों के लिए मार्च-अप्रैल माह बेहद कठिन रहे हैं।

जलाशय के पर्यावरण व पक्षियों को होगा नुकसान 
जलाशय प्रतिवर्ष आने वाले प्रवासी पक्षियों की वजह से पूरे अंचल में काफी प्रसिद्ध है। बीते कई दशकों से प्रतिवर्ष जलाशय में हजारों प्रवासी पक्षी पहुंचते हैं। जलाशय में प्रवासी पक्षियों के अलावा क्षेत्रीय जलीय पक्षी भी बड़ी संख्या में रहते हैं। किनारों की ओर पानी का तल उथला होने के चलते पक्षी प्रजनन के बाद अंडेे भी देते हैं। जिनका मछली पालन करने वाले लोगों समेत आसपास के कुछ ग्रामों के लोगों द्वारा अवैध शिकार किया जाता है। 

इस वजह से यहां पक्षियों की संख्या भी दिन ब दिन कम होती जा रही है, जबकि अधिक मछली प्राप्त करने के फेर में मछली पालन में संलग्न लोगों द्वारा दानों के अलावा मृत जानवरों के अवशेष भी जलाशय में डाले जाते हैं। यदि जलाशय को मछली पालन के लिए दिया जाता है तो निश्चित ही छुईहा जलाशय के पर्यावरण को क्षति पहुंचने के अलावा यहां पाए जाने वाले पक्षियों के जीवन पर भी संकट उत्पन्न हो जाएगा।

पर्यावरण प्रेमियों ने विरोध दर्ज कराया
नगर के पर्यावरणप्रेमी निखिलेश त्रिवेदी, नीलम दीक्षित, दिनेश ठाकुर आदि ने जनहित में छुईहा जलाशय को मछली पालन के लिए देने का विरोध करते हुए मुख्य कार्यपालन अधिकारी द्वारा जारी सूचना को निरस्त करने की मांग की। पर्यावरणविद निखिलेश त्रिवेदी ने कहा कि मत्स्य पालन से जलाशय पूरी तरह से प्रदूषित हो जाएगा। वहीं, मछली पालन के दौरान जाल डाले जाने से प्रवासी पक्षियों को भी खतरा रहेगा। त्रिवेदी ने मत्स्य पालन के लिए छुईहा जलाशय को पूरी तरह से मुक्त करने तथा जलाशय की सफाई, गहरीकरण कराए जाने की मांग की।

कब्जों की वजह से नहीं पहुंच पाता है पर्याप्त पानी
ब्रिटिशकालीन छुईहा जलाशय की कुल लम्बाई 138 मीटर तथा तल से अधिकतम ऊंचाई 6.15 मीटर है। वर्तमान में इसके कैचमेंट एरिया समेत बारिश के दौरान पानी आने के मार्ग पर बड़ी संख्या में कब्जे हो चुके हैं। जिसके चलते जल का भराव अपेक्षाकृत कम होने लगा है। नगरवासियों द्वारा वर्षों से छुईहा जलाशय के गाद की सफाई, जलाशय का गहरीकरण तथा जलाशय के अतिक्रमण को हटाए जाने की मांग भी की जाती रही है।
 

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