राजनांदगांव

धुर नक्सलगढ़ कटेमा को जोडऩे बनती सडक़ से बिना सुरक्षा पहुंचे कलेक्टर
21-Feb-2021 1:53 PM
धुर नक्सलगढ़ कटेमा को जोडऩे बनती सडक़ से बिना सुरक्षा पहुंचे कलेक्टर

  कटेमा से लौटकर प्रदीप मेश्राम  

राजनांदगांव, 21 फरवरी (‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता)। छत्तीसगढ़-मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र सीमा पर बसे धुर नक्सलगढ़ कटेमा को जोडऩे बन रही सडक़ से दशकों से बेहतर जीवन जीने की आस में बैठे वन बाशिंदों के लिए लाईफ-लाईन साबित हो रही है। जिले के आखिरी छोर में स्थित लछना पंचायत के अधीन आदिवासी बाहुल्य कटेमा की भौगोलिक बसाहट से वन बाशिंदों को विषम परिस्थितियों के बीच जीवनयापन करना पड़ता रहा है। 

कटेमा के बाशिंदों को विकास की मुख्यधारा से जोडऩे के लिए राजनांदगांव कलेक्टर टीके वर्मा की व्यक्तिगत और प्रशासनिक कोशिशों से एक चमचमाती सडक़ लगभग बनकर तैयार है। लछना पंचायत मुख्यालय से करीब 17 किमी दूर कटेमा पहुंचने का काम ‘पहाड़ चढ़ाई से कम नहीं रहा’। अक्सर गांव में बसे लोगों को प्रशासन बुनियादी ढांचों से लैस करने का दावा करता रहा है। 

राजनांदगांव कलेक्टर ने प्रधानमंत्री ग्राम सडक़ योजना के अंतर्गत बन रहे करीब 14 करोड़ की सडक़ को जल्द ही कटेमा से जोडऩे के लिए एक मुहिम छेड़ दी है। नतीजतन नक्सल चुनौतियों की परवाह किए बगैर प्रशासन ने अपनी इच्छाशक्ति की बदौलत एक चमचमाती सडक़ महुआढ़ार तक तैयार कर ली है। अगले कुछ महीनों के भीतर इस रास्ते में लोगों की चहल-कदमी तेज होगी। प्रधानमंत्री सडक़ योजना के जरिये बन रहे इस मार्ग को पूर्ववर्ती अफसरों ने नजरअंदाज किया। मौजूदा कलेक्टर वर्मा ने पर्यावरण, विद्युत एवं अन्य समस्याओं का निराकरण करते हुए कटेमा तक सडक़ को मूर्तरूप देने का इरादा बनाया है। कटेमा तक सडक़ बनते देखकर अब वनवासियों के चेहरे भी खिलने लगे हैं। सडक़ निर्माण के लिए कलेक्टर के जज्बे का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वह बिना सुरक्षा के बीहड़ इलाके में बन रहे कार्यों का जायजा लेने पहुंचे। इस रास्ते में बने करीब 3 गांव ऐसे हैं, जिन्हें बरसाती सीजन और आपातकालीन हालातों में कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है। बीमार होने की दशा में जीवन-मृत्यु की लड़ाई से पहले बाशिंदों को अस्पताल पहुंचने की कठिन परीक्षा से गुजरना पड़ता है।

राजनांदगांव कलेक्टर को अपने बीच पाकर महुआढ़ार, लछनाटोला, लछना, कटेमा और बोरला के बाशिंदों को संवाद करने का मौका भी मिल गया। कलेक्टर ने भी बेखौफ होकर ग्रामीणों की समस्याओं को सुना। इस संबंध में  ‘छत्तीसगढ़’ से चर्चा करते कलेक्टर श्री वर्मा ने कहा कि सडक़ से सरकार की विकास की गहराई को समझा जा सकता है। कटेमा तक सडक़ बनाना प्रशासन की हमेशा प्राथमिकता रही है। दशकों बाद वन बाशिंदों का सपना अब पूरा होने लगा है। पंचायत के सरपंच प्रतिनिधि कमलेश वर्मा ने सडक़ को एक बड़ी सौगात बताते  कलेक्टर के प्रति आभार व्यक्त किया है। 

उधर सडक़ निर्माण होने से महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश के लोगों को भी इस रास्ते से गुजरने में सहुलियत होगी। आदिवासी इलाका होने के कारण ज्यादातर वन बाशिंदों के परिजन और रिश्तेदार तीनों राज्यों के सरहदी गांवों में बसे हुए हैंं। कटेमा के साथ-साथ पंचायत के दूसरे गांवों की दशा और दिशा में भी बदलाव नजर आएगा। 

 

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