महासमुन्द
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुन्द, 22 फरवरी। महानदी की रेत पर उत्पादित रसीला तरबूज आगामी माह मार्च के दूसरे पखवाड़े तक पककर तैयार हो जाएगा। यहां के तरबूज प्रदेश के साथ-साथ अन्य प्रांतों में जाकर लोगों को गर्मी से राहत पहुंचाते हैं। किसानों से जानकारी मिली है कि यहां के तरबूजों को हर साल दुबई भेजा जाता है। वहां इसकी डिमांड बहुत है।
वर्तमान समय में महानदी में वृहद स्तर पर तरबूज, ककड़ी व खीरे की खेती हो रही है। महानदी की रेत पर आरंग, बिरकोनी, बरबसपुर, घोड़ारी, बडग़ांव, मुढ़ेना तथा महासमुन्द सहित दर्जन भर गांवों के किसान इसकी खेती कर रहे हंै। भूमिहीन परिवार में शामिल ये किसान पिछले 50 सालों से महानदी नदी की रेत में परंपरागत तरीके से सब्जी, ककड़ी, तरबूज और खरबूज की खेती करते आ रहे हैं। बारिश के बाद अक्टूबर-नवम्बर महीने से जैसे ही नदी का पानी कम होता है, रेत में खेती की तैयारी शुरू हो जाती है।
किसानों का कहना है कि दो तीन रोज पहले की आंधी पानी और घटा के कारण पौधों के पत्ते खराब हो गए हैं, इसलिए अब खाद डाल रहे हैं। आगे मौसम अच्छा रहा तो फसल अच्छी होगी। किसानों के मुताबिक इस बार फसल अच्छी होने की संभावना है। वे कहते हैं कि पहले अधिकतर फसल रायपुर में ही बेचा करते थे, लेकिन कुछ समय से जहां दाम अच्छे मिलते हैं हम वहीं फसलों का सौदा करते हैं। अब तो महासमुन्द का तरबूज दुबई भेजा जाता है। लगभग महीने भर पहले हमने तरबूज के पौधे लगाए हैं। इसे तैयार होने में लगभग ढाई से तीन महीने लगते हैं। होली तक या उसके बाद तरबूज तैयार हो जाएंगे। कुछ ही दिन पहले खीरा 28 रुपए तक प्रति किलो बिक रहा था लेकिन बारिश के कारण अब 23 से 24 रुपए में बिक रहा है।