महासमुन्द
महासमुन्द, 23 फरवरी। आस्था साहित्य समिति महासमुन्द द्वारा अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के अवसर पर 21 फरवरी को शासकीय उमावि बेमचा में प्राचार्य डा. साधना कसार की अध्यक्षता में काव्य पाठ का आयोजन किया गया । इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में आनंद तिवारी पौराणिक एवं विशेष अतिथि के रुप में साहित्यकार एस.चंद्रसेन उपस्थित रहीं। कार्यक्रम के शुभारंभ में साहित्यकार कमलेश पाण्डेय ने सरस्वती वंदना प्रस्तुति के साथ छत्तीसगढ़ी में काव्य पाठ करते हुये कहा कि खिल गेहे गोंदा के फूल, रसिया बौंरा बन के आ जा, साहित्यकार एस.आर. बंजारे ने इस अवसर पर मैं अपन धर्मपत्नी ल कहेंव, चल चांद मं जाबो छुट्टी बिताये बर प्रस्तुत किया।
विशेष अतिथि के आसंदी से काव्य पाठ करते हुये साहित्यकार श्रीमती एस. चंद्रसेन ने मातृभाषा पर अनुराग एवं पर्यावरण संरक्षण पर ध्यान केन्द्रित कविता अंगना मं ठाढ़े रुखवा ह मोर मन भरमाथे या मोला तीर मं बलाथे या प्रस्तुत किया। साहित्यकार आनंद तिवारी पौराणिक ने छत्तीसगढ़ी कविता महतारी भाखा मया के अमरित बानी गंगा के पबरित पानी सुनाकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया। अध्यक्षीय आसंदी से साहित्यकार एवं प्राचार्य डा. साधना कसार ने कहा कि गाये न कोयलिया, बोले न मेचका, माटी के चुनर चिरागे हे, लपट चलत हे धुर्रा उड़त हे, पानी बर भटकत गाय गौरेया पढ़ीं।
कार्यक्रम का संचालन साहित्यकार टेकराम सेन चमक ने सहरिया मन के नकल जो करबो, हो जाही ए जग हांसी, सबसे सस्ता सबसे बढिय़ा मोर छत्तीसगढ़ के बासी के साथ किया।