गरियाबंद
राजिम, 1 मार्च। राम हम सबके आराध्य हैं। गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरित मानस की रचना कर घर-घर भगवान राम को पहुंचा दिया। इससे हमें भाई-भाई के प्रति कैसा व्यवहार करें, पुत्र-पिता के साथ किस तरह शिष्टाचारी निभाएं, भाई-बहन के साथ किस तरह रहे, सभी जानकारी रामायण पढऩे से हो जाती है। उक्त बातें राजिम माघी पुन्नी मेला के अवसर पर चतुर्भुज सिरकट्टी आश्रम पांडुका से लोमष ऋ षि आश्रम में पहुंचे यजमान दीनानाथ साहू ने व्यक्त की।
श्री साहू ने आगे कहा कि लंका जाने के लिए जब कोई तैयार नहीं हुए थे, तब जामवंत हनुमान जी के आत्मविश्वास को जागाने का काम करते हैं। जैसे-तैसे राम काज के लिए हनुमान तैयार हो जाते हैं। एक समय बाद माता सीता का पता लगाकर वापस हनुमान भगवान राम को शुभ समाचार सुनाते हैं तथा लंका पर चढ़ाई किया जाता है। हनुमान जी के इस प्रसंग में प्रबंधन के गुण छिपे हुए हैं।
जब उन्होंने लंका दहन किया, तब तेल-कपड़े रावण के ही थे तथा लंका जला वह रावण का ही था। उनकी ही सामाग्री में हनुमान ने रावण की लंका को जलाकर स्वाहा कर दिया।
उल्लेखनीय है कि लोमशऋ षि आश्रम में यज्ञ चल रहा है, जो रविवार को तीसरा दिवस है। सुबह 8 बजे यज्ञ चालू होता है तथा एक बजे आरती के पहले दो घण्टा प्रवचन का कार्यक्रम चलता है।