जशपुर

आधुनिकता के उत्पादों को टक्कर दे रहे देसी कुम्हार
07-Mar-2021 7:03 PM
  आधुनिकता के उत्पादों को टक्कर दे रहे देसी कुम्हार

   देवानारायण ने बर्तन बनाकर सुधारी आर्थिक स्थिति    

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

 पत्थलगांव, 7 मार्च। वर्तमान में सभी घरो की रसोई में इस्तेमाल हो रहे आधुनिक बर्तन का मुकाबला करने पत्थलगांव के तमता बालाझार के देशी कुम्हार ने देशी मिटटी के बने बर्तनों को बनाकर बेचना शुरू किया है। कुम्हार का नाम देवनारायण प्रजापति है।

उसके पिता शत्रुघन जिनका एक हाथ काम नही करने से परिवार के लालन पोषण की जिम्मेदारी कुम्हार देवनारायण पर शुरू से आ गया था, पूर्व में मिटटी के दिए, सुराही, मटके व घड़े तैयार कर अपनी रोजी रोटी चलते थे लेकिन आधनुकिता के दौर में अब मिट्टी के बर्तनों एव सामाग्री की चमक फीकी पडऩे लगी है। बाजार में तरह-तरह के आधुनिकता के सामान की चमक में कुम्हारों की कला भी फीकी पड़ गई है।

नतीजा है कि कई ने तो इस पुस्तैनी धंधे से तौबा कर लिया है। इससे पत्थलगांव के युवा कुम्हार देवनारायण प्रजापति ने हिम्मत नही हारी । देवनारायण ने आधुनिकता के उत्पादों को टक्कर देते हुवे परंपरागत तरीकों से मिटटी के कुकर , रसोई के लिए हर तरह के बर्तन जैसे कढ़ाई, हांडी से लेकर फ्राई पैन,पानी बोतल का निर्माण कर उसे ग्रामीण बाजार में उतर कर अपनी आर्थिक स्थिति को सुधरा है।

अब जरूरत है इस तरह के युवा कारीगर को सरकार से सहयोग मिलने की वर्तमान हालात में जब अधिकांश गांवों में मिट्टी के बर्तन बनाने वाले कारीगर भी अब इक्का-दुक्का ही रह गए हैं। उनके भी आर्थिक हालत खराब है उनको सरकारी राहत की दरकार है कुम्हारों का कहना है की उन्हें अत्याधुनिक चाक एवं अन्य उपकरण भी मुहैया हो जाए तो वे बेहतर से बेहतर उत्पाद तैयार कर सकेंगे। आज कुम्हार जाति के लोगों के सामने ना केवल उनके कारोबार को बंद करने की समस्या खड़ी है बल्कि सरकार भी इन लोगों की कोई मदद नहीं कर रही है।

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