कवर्धा

दिव्यांग बंशीलाल और उसके परिवार को मिला 116 दिन से अधिक का रोजगार
08-Mar-2021 7:17 PM
दिव्यांग बंशीलाल और उसके परिवार को मिला 116 दिन से अधिक का रोजगार

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

कवर्धा, 8 मार्च।  जीवन में अगर हौसला हो और उस पर कुछ करने का मौका मिले तो शारीरीक कमजोरी भी कभी आड़े नहीं आती। हौसलों की उड़ान इतनी मजबूत होती है कि विपरीत परिस्थितियों में भी आगे बढऩे की राह मिल ही जाती है। ऐसे ही अपने कमजोरियों से ऊपर उठते हुए अपने परिवार को साथ लेकर आगे बढऩे की मिसाल है दिव्यांग बंशीलाल मरकाम पिता फागूराम मरकाम निवासी तितरी की।

कबीरधाम जिले के बोड़ला विकासखण्ड का वनांचल गांव तितरी जिला मुख्यालय से लगभग 65 किमी की दूरी पर स्थित है। शासकीय योजनाओं के बेहतर प्रबंधन का ही नतीजा है कि समाज का प्रत्येक वर्ग इससे सीधे लाभान्वित हो रहा है। बंशीलाल मरकाम महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना अंतर्गत चालू वित्तीय वर्ष में 116 दिवस का रोजगार पूर्ण कर अपनी आजीविका कमा रहे है। अपने दोनो पैरों से 80 प्रतिशत दिव्यांग श्री बंशीलाल मरकाम सामान्य व्यक्तियों की तरह चल-फीर नहीं सकते लेकिन काम करने का ऐसा जज्बा है जो सभी को प्रेरणा देता है। बंशीलाल और उनका परिवार मनरेगा अंतर्गत जॉब कार्ड नं.बी-02-002-055-001/35 में पंजीकृत है। तीन बच्चे और पत्नी के भरन पोषण की जिम्मेदारी बंशीलाल के कन्धो पर है, लेकिन शारिरीक कमजोरी कभी इसके आड़े नहीं आई। तितरी गांव में होने वाले निजी डबरी कार्य हो या फिर अन्य कार्य बंशीलाल गोदी खोदते हुए सभी ग्रामीणों के साथ देखे जा सकते है। यहीं कारण है कि महात्मा गांधी नरेगा योजना से इसके परिवार को अब तक 116 दिवस का रोजगार मिल गया है और स्वंय बंशीलाल के द्वारा 56 दिवस का कार्य किया गया है। कार्य करने के एवज में बंशीलाल के परिवार को लगभग 22 हजार रूपए का मजदूरी भुगतान इनके बैंक खाते में गया है। भारतीय स्टेट बैंक शाखा रेंगाखार में हुआ मजदूरी भुगतान बंशीलाल के लिए बहुत मददगार सिद्ध हुआ है और इसके सहायता से परिवारिक आवश्यकता की पूर्ति करते है। बंशीलाल मरकाम बताते है कि में हमेशा से रोजगार गारंटी योजना का कार्य करता रहा हूं। शारिरीक कमजोरी के कारण गांव में ही रोजगार मिलना मेरे लिए बहुत खुशी का विषय रहा है। मैं अपने पत्नी के साथ रोजगार गारंटी योजना में गोदी खनता हूं और मेरी पत्नी मिटटी को फेकती है। हम दोनो अपनी जोड़ी में काम करते है। समस्या के बावजूद भी रोजगार गारंटी योजना से मुझे निरन्तर काम मिलता रहा है यहीं कारण है कि मैं अभी तक अपने परिवार के साथ मिलकर 100 दिवस से अधिक का रोजगार कर लिया हूं। बंशीलाल कहते है कि तालाब गहरीकरण काम में, भूमि सुधार कार्य में, निजी डबरी के काम में मैने गोदी किया है। ग्राम पंचायत द्वारा कार्यो में मुझे सुविधाजनक कार्य करने का अवसर दिया जाता रहा है, लेकिन मैं अपने शारिरीक तकलिफों को कभी काम के आड़े नहीं आने दिया। रोजगार गाटंरी योजना का मैं शुक्रगुजार हूं कि मेरे अपने गांव में हि लगातार मुझे रोजगार मिल जाता है। जिसके कारण सभी आवश्यक जरूरतें भी पूरी हो जाती है। मेरी योजना है कि सब्जी बिक्रि का व्यवसाय सुरु करूं जिससे की मै और आगे बढ़ सकू।            

मनरेगा ने दिया दिव्यांग को सहारा

 तितरी के ग्राम रोजगार सहायक श्री अशोक पटले बताते है कि बंशीलाल मरकाम के पास अपना एक एकड़ का भूमि है। वह कभी अपने खेत मे काम करते है तो कभी रोजगार गारंटी योजना से उन्हें सहायता मिल जाती है। गांव में काम खुलने से इन्हें भी रोजगार का अवसर मिलता है। यहीं कारण है कि वे निरन्तर रोजगार प्राप्त करने वाले मे से है। गांव में ऐसे ही कुछ और दिव्यांगजन है जो निरन्तर रोजगार का अवसर प्राप्त कर रहें है। मनरेगा योजना के सहायता से गांव के दिव्यांगजनों को बहुत फायदा हो रहा है।  

अवसर की समानता रोजगार गारंटी योजना की एक प्रमुख विशेषता है: सीईओ जिला पंचायत

 मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत कबीरधाम श्री विजय दयाराम के. चर्चा करते हुए बताते है कि समाज के हर वर्ग को शासकीय योजनाओं का लाभ देना हमेशा से मुख्य उद्देश्य रहा है। जिले में मैदानी क्षेत्र से लेकर वनांचल क्षेत्र तक रोजगार गारंटी योजना से दिव्यांगजनों को लाभान्वित किया गया है। यहीं कारण है कि चालू वित्तीय वर्ष में अब तक 3377 दिव्यांगजनों को रोजगार प्रदान किया जा चूका है। जिसमें जनपद पंचायत कवर्धा क्षेत्र मे 365, जनपद पंचायत बोड़ला क्षेत्र में 867, जनपद पंचायत पण्डरिया क्षेत्र में 1318 एवं जनपद पंचायत स.लोहारा में 827 को रोजगार का अवसर प्राप्त हो चूका है जिसमें से बहुत से परिवार को 100 दिवस का रोजगार भी मिला है। श्री विजय दयाराम के. आगे बताते है कि 3377 दिव्यांगजनों को अब तक 89 हजार 8 सौ 98 मानव दिवस का रोजगार प्रदान किया गया है। ग्रामीणों को अधीक से अधीक रोजगार उपलब्ध हों इसके लिए 352 पंचायतों में 853 कार्य प्रगति पर है साथ ही ग्रामीणों की मांग पर कार्य प्रारंभ किया जाता हैं।

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