सुकमा
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
कुकानार, 8 मार्च । सुदरी ने दूसरों के घरों में बर्तन मांज कर बच्चों को काबिल बनाया। आज उनके 2 बेटे सरकारी नौकरी व बहू नर्स है। कूकानार की सुदरी बाई ने बताया कि छोटी उम्र में शादी करके मानसिंग मौर्य के साथ उनके घर आ गई पति का 15 वर्ष पहले निधन हो गया उसके बाद तीन लडक़े एवं एक लडक़ी के भरण पोषण की पूरी जिम्मेदारी सुदरी पर आ गई।
पढ़ी लिखी न होने के कारण कोई काम भी नहीं मिल रहा था ऐसे बुरे समय मे परिवार वालों ने भी कुछ खास सहयोग नहीं किया तब बच्चों का पेट पालने हेतु सुदरी ने आसपास के घरों में बर्तन मांजने,कपड़े धोने का निर्णय लिया ।उसके बाद उनका बड़ा लडक़ा तुलसी आठवीं उत्तीर्ण होने के बाद अपनी माँ का हाथ बंटाने पढ़ाई बीच मे ही छोड़ दी उसके बाद किसी तरह अपने बच्चों की पढ़ाई करवाई। आज उनका दूसरा पुत्र छोटू जिला पुलिस बल में सिपाही के पद पर व बहू दयावती कोलेंग में नर्स एवं छोटा पुत्र सीएसईबी में आपरेटर के पद पर नियुक्त है व पुत्री का विवाह हो चुका है। सुदरी कहती हंै कि आज मैं बहुत खुश हूं मेरे बच्चों ने मेरा बाहर काम करना बंद करवा दिया है आज मैं घर के काम मे हाथ बंटाती हूँ मैंने शुरू से ही अपने बच्चों को शासकीय नौकरी पर देखना चाहती थी मेरा यह सपना पूर्ण हो गया है। उन्होंने कहा कि कभी भी हिम्मत नहीं हारना चाहिए काम कोई भी बड़ा या छोटा नहीं होता है बस अपना सम्मान नहीं खोना चाहिए।