सुकमा
ओडिशा, छत्तीसगढ़, आंध्र से हजारों पहुंचे
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
कोंटा, 11 मार्च। छत्तीसगढ़ के अंतिम छोर पर बसा कोंटा के समीप आंध्र के चट्टी ग्राम के वीरापुरम गांव का शिवलिंग प्राचीन से ही आस्था और विश्वास का प्रतीक रहा है। ढाई सौ से अधिक वर्ष पुराना यह शिवलिंग प्राचीन व स्वयंभू है। महाशिवरात्रि के दिन यहां तीन राज्य ओडिशा, छत्तीसगढ़ , आंध्र से लगभग दस हजार से भी अधिक भक्त शिव का दर्शन करने आकर मन्नते मांगते हैं व आदिवासी रीतिरिवाज अनुसार विशेष पूजा महा शिवरात्रि के दिन किया जाता है।
यहां पहुंचे भक्त मानते हैं कि महाशिवरात्रि के दिन शिव पूजा करने से महादेव जल्द प्रसन्न होते हैं। उनकी कृपा से सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। जिन लोगों का विवाह नहीं हो रहा होता है या किसी कारण उसमें देरी हो रही हो तो महाशिवरात्रि के दिन शिवलिंग की पूजा करने से मनोकामना पूर्ण होती है व महाशिवरात्रि के दिन सन्तान प्राप्ति के लिए भी दंपत्तियों के द्वारा विशेष पूजा कर मन्नत मांगते हैं।
250 वर्ष पहले स्वयंभू प्रकट हुए शिवलिंग
कोंटा से 9 किमी दूर चट्टी ग्राम 250 वर्ष पूर्व बसा था। शिव मंदिर के श्री गादे रामलिंगेश्वर ट्रस्ट के उदय कुमार पुसम रवि, रव्वा प्रसाद ने बताया कि 250 पहले इनके पूर्वजों के द्वारा वीरापुरम के पहाड़ी पर यह शिवलिंग को देखा गया था, उस दिन से ही वीरापुरम में स्थित पहाड़ी पर आदिवासी रीति रिवाजों के साथ पूजा-अर्चना करना प्रारम्भ कर दिया गया। अब स्वयंभू शिवलिंग इस क्षेत्र के आदिवासियों की आस्था का केंद्र बना हुआ हैं, इसे पूजते 250 वर्ष पूर्ण हो गए हैं ।
वीरापुरम में ही पंद्रह वर्ष पूर्व खुदाई के दौरान मिला एक और शिवलिंग
वीरापुरम पहाड़ी इलाके में शिव दर्शन करने आ रहे भक्तों को पहाड़ चढऩे में आ रही दिक्कतों को देखते हुए श्री रामलिंगेश्वर देवस्थानम के द्वारा मिट्टी खुदाई कर रास्ता बनाते वक्त पंद्रह वर्ष पहले खुदाई के दौरान शिवलिंग मिला, जिससे आस-पास की इलाके में इस क्षेत्र के प्रति श्रद्धालुओं का आस्था और बढ़ गयी हैं। यहां दर्शन करने आये भक्त बताते हैं कि स्वयंभू शिवलिंग में मांगी गई मन्नत पूरी होती हैं।