सुकमा
सूचना का अधिकार के तहत भी नहीं मिली जानकारी-दीपिका
सुकमा, 13 मार्च। भाजयुमो प्रदेश उपाध्यक्ष अधिवक्ता दीपिका शोरी ने विज्ञप्ति जारी करते हुए कहा कि सुकमा जिले में सूचना के अधिकार अधिनियम को अधिकारियों ने मजाक बना कर रख दिया है।
उन्होंने कहा कि पिछले दिनों मुझे विकासखंड छिन्दगढ़ के नक्सल प्रभावित ग्रापं पालेंम के ग्रामीणों ने अपने गाँव में मनरेगा के तहत लगभग 4 वर्षों पूर्व स्वीकृत डबरियों का निर्माण सही मापदंड में नहीं होने व कुछ डबरियों का निर्माण नहीं होने के सम्बन्ध में शिकायत की थी, जिसकी वास्तविकता जानने हेतु मैंने स्वयं पालेंम में जाकर हितग्राहियों से मुलाकात कर वास्तविक स्थिति का अवलोकन किया, वहां जाने पर ज्ञात हुआ कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना के तहत अपर मुख्य सचिव छत्तीसगढ़ शासन पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के पत्र क्रमांक 1002 25 मार्च 2016 के निर्देशानुसार उप संचालक कृषि विभाग सुकमा के द्वारा प्राप्त पत्र के अनुसार जनपद पंचायत छिन्दगढ़ के ग्राम पंचायत पालेम में 94 हितग्राहियों के डबरी निर्माण हेतु प्रस्तुत प्राक्कलन के आधार पर प्रशासकीय स्वीकृति प्रदान की गई थी, परन्तु आज चार वर्षों के पश्चात भी इनमें से कई हितग्राहियों की डबरी का निर्माण नहीं किया गया है, कुछ डबरी आज भी अधूरे निर्माण की स्थिति में है व कुछ डबरी में कार्यरत मजदूरो को मजदूरी का भुगतान भी नहीं किया गया है।
तब शासन के द्वारा इस विषय पर अब तक क्या कार्यवाही की गई, इस विषय पर जानकारी प्राप्त करने हेतु 13 जनवरी को जन सूचना अधिकारी कृषि विभाग सुकमा को सूचना के अधिकार के तहत पत्र लिखा। जिस पर नियम के तहत 30 दिनों के भीतर मुझे जानकारी मिलनी थी, परन्तु न ही मुझे जानकारी दी गई व न ही किसी प्रकार का पत्र मुझे प्राप्त हुआ।
कृषि विभाग के सुकमा कार्यालय में सम्पर्क करने पर मुझे उप संचालक कृषि जिला सुकमा से चाही गई जानकारी के सम्बन्ध में अपने अधीनस्थ सहायक भूमि संरक्षण अधिकारी को लिखे गए 14/01/2021 को प्रथम पत्र, 02/02/2021 को द्वितीय पत्र एवं 08/02/2021 को तृतीय स्मरण पत्र की कापी दी गई, जिसमें मुझे उक्त कार्य के विषय में कोई भी जानकारी नहीं दी गई व सहायक भूमि संरक्षण अधिकारी ने न ही अपने उच्चाधिकारी के पत्र को संज्ञान में लिया व न ही किसी भी प्रकार की जानकारी दी। इससे साफ जाहिर होता है कि चार वर्षों पूर्व पालेंम में किये गए 1 करोड़ 50 लाख 40 हजार रु की प्रशासकीय स्वीकृति वाले 94 डबरियों के निर्माण में भारी अनियमितता की गई है, जिसकी जांच कर प्रशासन को दोषियों के खिलाफ उचित कार्रवाई करनी चाहिए।