कवर्धा

औषधीय पौधे व परंपरागत ज्ञान आधारित आजीविका विकास के लिए परिचर्चा
19-Mar-2021 4:41 PM
 औषधीय पौधे व परंपरागत ज्ञान आधारित आजीविका विकास के लिए परिचर्चा

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बोड़ला, 19 मार्च।
औषधीय पौधे एवं परंपरागत ज्ञान आधारित सतत आजीविका विकास हेतु परिचर्चा, प्रशिक्षण एवं क्षमता विकास कार्यक्रम 16  से 19 मार्च तक वन मंडल कवर्धा वनपरिक्षेत्र चिल्फी के काष्ठागार हाल में किया गया। 
प्रशिक्षण के विषय में जानकारी देते हुए लोक स्वास्थ्य परंपरा संवर्धन अभियान के राष्ट्रीय समन्वयक निर्मल कुमार अवस्थी ने बताया कि  मुख्यमंत्री छत्तीसगढ़ शासन के भूपेश बघेल  की मंशानुरूप यह आजीविका संवाद 2021 औषधीय पौधे व परंपरागत ज्ञान आधारित है, जिसमें छत्तीसगढ़ राज्य की लोक स्वास्थ्य परंपरा का संरक्षण संवर्धन एवं औषधीय पौधों का कृषिकरण के साथ साथ जड़ी बूटियों आधारित लघु उद्योगों की स्थापना हेतु सार्थक प्रयास किया जा रहा है। 

वन मंडलाधिकारी कवर्धा ने  कहा कि वन मंत्री के कुशल मार्गदर्शन एवं नेतृत्व में  परंपरागत वैद्यों के ज्ञान आधारित चिकित्सा पद्धति को वैज्ञानिक अनुसंधान कर प्रमाणिकता आधारित औषधि निर्माण एवं इस नवाचार लाने हेतु हम तत्पर हैं। आज अनेक प्रकार की दुर्लभ वनस्पतियां विलुप्त हो रही है इसके अलावा हमारे छत्तीसगढ़ राज्य की लोक स्वास्थ्य परंपरा के प्रति नई पीढिय़ों में जागरूकता लाना तथा रोजगार के अवसर उपलब्ध कराना चाहिए ताकि वन आधारित आजीविका सुनिश्चित करने हेतु पहल हो सके आज इन वनौषधियों का उचित मूल्य इस लिए भी नहीं मिल पाता उसका मुख्य कारण संग्रहण का उचित तकनीक व वैज्ञानिक ज्ञान सीमित है।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि छत्तीसगढ़ राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के सदस्य महेश चन्द्रवंशी अध्यक्षता मुख्य वन संरक्षक दुर्ग जे,आर, नायक विशिष्ठ अतिथि वन मंत्री के विशेष सहायक सुधीर सिसोदिया तथा वनमंडलाधिकारी दिलराज प्रभाकर के अलावा वनमंडल कवर्धा के सभी वन अधिकारी व कर्मचारियों के साथ साथ 112 परंपरागत वैद्य संयुक्त वन प्रबंधन समिति सदस्य एवं जैव-विविधता प्रबंधन समिति सदस्य महिला स्व-सहायता समूह व वनौषधियों के संग्राहक आदि लोगों ने अपनी सहभागिता दी। कार्यक्रम का संचालन सहयोगी मित्र मंडल दुर्ग के महेंद्र कुमार सिन्हा ने किया।

महेश चन्द्रवशी ने कहा कि छत्तीसगढ़ राज्य सरकार ने छत्तीसगढ़ आदिवासी स्थानीय स्वास्थ्य परंपरा एवं औषधि पादप बोर्ड का गठन इसलिए किया है कि छत्तीसगढ़ राज्य के पारंपरिक वैद्यों व वनौषधि के क्षेत्र में कार्यरत समुदाय को इसका लाभ सीधे तौर पर मिल सके इसलिए यह आयोजन आवश्यक था। मुझे खुशी है कि यह विशिष्ट आयोजन वनमंत्री के विधानसभा से प्रारंभ किया जा रहा है जो छत्तीसगढ़ राज्य के लिए मील का पत्थर साबित होगा।

विशिष्ठ अतिथि के रूप में वन मंत्री के विशेष सहायक सुधीर सिसोदिया ने कहा कि वन मंत्री की सोच यह है कि छत्तीसगढ़ राज्य में सृजित परंपरागत ज्ञान आधारित स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ आमजन तक पहुंचाने हेतु सार्थक प्रयास किया जा रहा है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे मुख्य वन संरक्षक दुर्ग ने बताया कि यह  आजीविका संवाद एक नवाचार कार्यक्रम है जिसमें विभागीय समन्वय के साथ स्थानीय जन भागीदारी सुनिश्चित किया गया है।

इस आयोजन में तकनीकी सहयोग परंपरागत वनौषधि प्रशिक्षित वैद्य संघ छत्तीसगढ़ व सहयोगी मित्र मंडल दुर्ग ने प्रदान किया।
 

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