बालोद
दल्लीराजहरा, 27 मार्च। हस्ताक्षर साहित्य समिति दल्लीराजहरा के तत्वावधान मेंं स्थानीय निषाद भवन में काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। जहां कोविड 19 के नियमों का पालन करतेे हुए कार्यक्रम संपन्न किया गया।
सर्वप्रथम मां सरस्वती एवं भारत माता के तैलचित्र के समक्ष दीप प्रज्जवलित किया और सरस्वती वंदना की गई। जिसके बाद समिति सदस्य किशोर संगदिल परबुधिया द्वारा कार्यक्रम आयोजन के उद्देश्य पर प्रकाश डाला गया और अमित दुबे को संचालन हेतु आमंत्रित किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे कवियित्री शिरोमणि माथुर ने स्वागत नववर्ष तु हारा शीर्षक पर कविता सुनाई।
मु य अतिथि वरिष्ठ कवि जेआर महिलांगे ने फागुन पर्व की महत्ता एवं बसंत ऋतु पर कविता पठन किया। सरिता सिंह गौतम ने कुछ दिनों का फागुन हूं शीर्षक पर काव्य पाठ किया तथा श्रोताओं के विशेष अनुरोध पर उन्होने दर्द जब हद से गुजर जाये तो शीर्षक पर कविता प्रस्तुत की। समिति के नवोदित कवियित्री अनादि माथुर ने कविता थोड़ी सी कोशिश इंसानों को पहचानने की है प्रस्तुत किया। कामता प्रसाद देशलहरा ने छत्तीसगढ़ी गीत आगे गा फागुन तिहार के माध्यम से श्रोताओं को आंनदित किया।
काव्य पाठ की अगली कड़ी मेें गोपी सोनवानी ने इस उजली दुनियां में सबका रैन बसेरा है, शमीम अहमद सिद्दिीकी ने फागुन की मस्ती में डूब गए सब, ज्ञानेन्द्र सिंह ने मैं जैसे ही घर से निकला शीर्षक पर काव्य पठन किया। अनिरूद्ध साहू ने होली पर्व पर विचार रखा। गोविंद कुट्टी पणिकर ने सरस्वर कविता प्रस्तुत की। घनश्याम पारकर ने छत्तीसगढ़ी व्यंग्य कविता घरोघर पढैय़ा देख के अकबका गे सरकार प्रस्तुत कर श्रोताओं को खूब हंसाया। किशोर संगदिल ने छत्तीसगढ़ लघु कहानी अइसन होरी सब मनावव सुनाकर श्रोताओंं को सिर्फ कंडे से होली जलाकर लकड़ी व जंगल तथा गुलाल से सूखी होली खेलकर पानी बचाने की अपील की। काव्य गोष्ठी के संचालक अमित दुबे ने जब दु:शासन द्रोपती को केशों से खींच लाया शीर्षक से कविता सुनाई। गोष्ठी के पश्चात समिति पदाधिकारियोंं एवं सदस्योंं ने अरूणिमा पुस्तक के शीघ्र प्रकाशन के लिए चर्चा की।