बिलासपुर

70 डिसमिल ही खेत था, उसे भी बेचना चाहता था फांसी लगाने वाला किसान
02-Apr-2021 6:34 PM
70 डिसमिल ही खेत था, उसे भी बेचना चाहता था फांसी लगाने वाला किसान

पटवारी उत्तम प्रधान

आत्महत्या के लिये उकसाने के आरोप में पटवारी गिरफ्तार, एसडीएम ने किया निलम्बित

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 2 अप्रैल।
पटवारी पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाकर आत्महत्या करने वाले किसान के पास सिर्फ 70 डिसमिल जमीन थी। इसके बावजूद अपनी जमीन को वह बेचना चाहता था।  ऐसी नौबत क्यों आई, प्रशासन ने अभी इस बात की जांच नहीं की है। 

आज सुबह की घटना से जिला प्रशासन में हड़कम्प मचा हुआ है। निगारबंद,  हल्का नंबर 10 के पटवारी उत्तम प्रधान को एसडीएम ने निलम्बित कर दिया और पुलिस ने भी तत्परता से कार्रवाई करते हुए उसे आईपीसी की धारा 306 के तहत गिरफ्तार कर लिया।

उल्लेखनीय है कि राजाकापा ग्राम में किसान छोटूराम कैवर्त (58 वर्ष) का शव सुबह पास के खेत में फांसी पर लटका मिला। उसके पास से एक सुसाइडल नोट मिला, जिसमें लिखा था कि पांच हजार रुपये रिश्वत में देने के बावजूद पटवारी ने उसे पर्ची बनाकर नहीं दिया है, इसलिये आत्महत्या कर रहा है। पुलिस व राजस्व विभाग की जांच से मालूम हुआ है कि मृतक के पास केवल 70 डिसमिल जमीन है, यानि वह लघु कृषक की श्रेणी में आता है। किसान ने अपने गांव के एक दूसरे कृषक पांडेय महाराज की जमीन पर कुछ सब्जी भाजी भी बो रखी थी। इतनी कम जमीन होने के बावजूद उसे  बेचना चाहता था, क्यों, इसकी जानकारी अभी तक की जांच में सामने नहीं लाई गई है। मृतक किसान के घर में पत्नी के अलावा दो युवा पुत्र भी हैं।  

राजाकापा की जमीन को वह बेचना चाहता था, उसकी ऋण पुस्तिका गुम गई थी। इसके लिये उसने अपने इलाके के पटवारी को 5 हजार रुपये की रिश्वत दी थी। इसके बावजूद पटवारी उसे नया पर्ची बनाकर नहीं दे रहा था। वह निगारबंद स्थित उसके कार्यालय में कई चक्कर काटकर थक चुका था। वित्तीय वर्ष के अंत 31 मार्च तक जब वह जमीन नहीं बेच पाया तो निराश हो गया और उसने आत्मघाती कदम उठा लिया।

इस मामले में पटवारी प्रधान पर सीधे आरोप लगाने से जिला प्रशासन बच रहा है। उसके निलम्बन आदेश में छोटूराम कैवर्त की मौत का जिक्र ही नहीं किया गया है। पुलिस ने जरूर उसकी इस आरोप में गिरफ्तारी कर ली है।

मामला सामने आने के बाद प्रशासन में हड़कम्प मचा हुआ है और पूरी कोशिश की जा रही है कि घटना को साधारण बताया जाये, लेकिन राजस्व विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार की इस मामले ने पोल खोल दी है। राजस्व विभाग में सिटीजन चार्टर लागू है, जिसके तहत निश्चित समय में काम होना चाहिये पर इसका पालन शायद ही किसी पटवारी, तहसील के दफ्तर में होता है। जिन अधिकारियों के अधीन ये पटवारी काम कर रहे हैं उनकी कार्यप्रणाली भी संदेह के दायरे में आ गई है।

आज महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष हर्षिता पांडेय ने 25 लाख रुपये मुआवजा पीड़ित परिवार को देने की तथा घटना की न्यायिक जांच कराने की मांग सरकार से की है। उन्होंने परिवार को ढांढस भी बंधाया। संसदीय सचिव व तखतपुर विधायक रश्मि सिंह ठाकुर ने पीड़ित परिवार को सांत्वना दी और अधिकारियों को त्वरित कार्रवाई के लिये कहा।

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