राजनांदगांव
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 4 अप्रैल। प्रभु यीशु के पुनर्जीवित होने की खुशी में रविवार को ईसाई समुदाय ने परंपरागत ईस्टर पर्व मनाया। कोरोना की सख्ती के चलते गिरजाघरों में ताले लगे रहे। लिहाजा ईसाई धर्मावलंबियों ने आज सुबह घरों से ऑनलाइन प्रार्थना सभाओं में भाग लिया।
धार्मिक मान्यता है कि गुड फ्राईडे यानी शुक्रवार को प्रभु यीशु को सूली पर लटकाया गया। जिससे उनकी मृत्यु हो गई थी। इसके ठीक एक दिन बाद रविवार को प्रभु यीशु पुनर्जीवित हो गए। ईसाई समुदाय इस दिन को चमत्कारिक और अलौकिक मानते हुए धूमधाम से पर्व के रूप में मनाता है। ईस्टर पर्व में परंपरागत रिवाजों के तहत समुदाय के दिवंगत सदस्यों को याद करने के लिए लोग कब्रिस्तान में एकत्रित होते हैं। ईस्टर पर्व पर सुबह प्रभु यीशु की स्तुति गान से जुड़े धार्मिक गीतों को गाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि पारिवारिक सदस्यों के दुनिया से चले जाने पर इस दिन याद करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है। इधर चर्चों में आज पूरी तरह से सन्नाटा पसरा रहा।
कैथोलिक और प्रोटेस्टेंट ईसाई वर्ग में अलग-अलग तरीके से प्रभु यीशु को प्रार्थनाओं के जरिये याद किया गया। पास्टर और फादर द्वारा ऑनलाइन समुदाय को प्रभु यीशु के जीवन से जुड़ी गाथाओं को सुनाया गया। पिछले साल भी कोरोना के कारण चर्च ईस्टर पर्व पर बंद थे। लगातार दूसरे साल समुदाय के लोगों को घरों में प्रार्थना करना पड़ा। इस बीच ईस्टर पर्व की खुशी को समुदाय ने सीमित रूप से मनाया। हालांकि घरों में आज विशेष व्यंजन भी बनाए गए। कोरोना पाबंदी के कारण घरों में गैर ईसाइ समुदाय की मौजूदगी नहीं रही। इससे परे परंपरागत रिवायतों के आधार पर आज ईस्टर पर्व मनाते हुए समुदाय ने कोरोना काल को खत्म करने के लिए विशेष प्रार्थनाएं की।