राजनांदगांव
2.88 लाख से बन रहा केज कल्चर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 5 अप्रैल। जिले के अंबागढ़ चौकी अनुभाग में स्थित सबसे बड़े बैराज मोंगरा में मछुवारों की आय को बढ़ाने के लिए प्रशासन की पहल पर दो प्रमुख प्रजाति की फंगाशियस एवं तिलापिया मछली पालन किया जा रहा है। दोनों मछलियों की बाजार में काफी मांग है। खासतौर पर तिलापिया मछली को खाने के शौकिन लोगों की संख्या ग्रामीण इलाकों में अधिक है।
कलेक्टर टीके वर्मा ने बैराज में 2 करोड़ 88 लाख की लागत से बन रहे केज कल्चर का अवलोकन करते जल्द ही निर्माण कार्य पूर्ण करने का निर्देश दिया है। बैराज के मध्य में बन रहे नवीनतम तकनीक से मत्स्य पालन में मछुवारों को स्थाई रोजगार मिलेगा।
उल्लेखनीय है कि डेम के बीच में 96 केज लगाए गए हंै, जहां एक ही स्थान पर फंगाशियस एवं तिलापिया प्रजाति की मछली का व्यापक पैमाने पर मत्स्य पालन किया जा रहा है। डेम के बीच केज कल्चर का दृश्य रमणीय एवं रोमांचक है। चार बाई आठ मीटर के केज में बीस फीट तक गहराई में जाल लगा होता है। शासन की योजना के तहत संचालित यह केज कल्चर जिला प्रशासन एवं मत्स्य विभाग द्वारा किया जा रहा है। मछलियों को रैम्प के माध्यम से डेम के बीच केज तक जाकर समय-समय पर चारा दिया जाता है। बैराज में जल के स्तर के अनुसार केज की ऊंचाई का अनुपात भी कम-ज्यादा किया जाता है। मत्स्य पालन के लिए जून में 5 हजार फिंगरलिंग डाला गया था। 6 से 7 महीने में एक फसल पूरी होती है। इस हिसाब से 10 दिनों में केज खाली करेंगे। उन्होंने बताया कि लगभग 4 हजार मछली के हिसाब से 192 क्विंटल उत्पादन होगा।